Landslide Atlas of India: भारत के 12.6% भू-क्षेत्र भूस्खलन खतरे वाले क्षेत्र हैं

Image source: NRSC, Landslide Atlas of India

पहली बार, NRSC (नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर) के वैज्ञानिकों ने भारत के भूस्खलन एटलस (Landslide Atlas of India) के निर्माण के लिए 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 147 जिलों में 1988 और 2022 के बीच रिकॉर्ड किए गए 80,933 भूस्खलन के खतरों का मूल्यांकन किया है।

खतरों का विश्लेषण मानव और पशुधन जनसंख्या घनत्व पर आधारित है, जो इन भूस्खलनों के लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव को इंगित करता है।

एटलस के प्रमुख निष्कर्ष

भारत में लगभग 0.42 मिलियन वर्ग किमी या 12.6% भूमि क्षेत्र (बर्फ से ढके क्षेत्र को छोड़कर) भूस्खलन के खतरे से ग्रस्त है। पहाड़ी स्थलाकृति होने के कारण और भारी वर्षा के कारण हिमालय और पश्चिमी घाट बड़े पैमाने पर जमीन के स्खलन के प्रति अतिसंवेदनशील हैं।

अधिकांश भूस्खलन वर्षा के पैटर्न में भिन्नता के कारण होते हैं, जबकि छिटपुट घटनाएं जैसे कि मानसून अवधि से परे बहुत भारी वर्षा (2013 की केदारनाथ घटना) और भूकंप (सिक्किम भूकंप) आजीविका और इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाते हैं।

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हालांकि पूर्वोत्तर राज्यों में हर साल कई भूस्खलन होते हैं, लेकिन कम जनसंख्या घनत्व और व्यापक निर्जन पर्वतीय क्षेत्रों के कारण सामाजिक आर्थिक प्रभाव अधिक नहीं देखे जाते हैं।

वहीं हिमालयी क्षेत्रों की तुलना में कम भूस्खलन के बावजूद पश्चिमी घाट में, विशेष रूप से केरल में निवासियों और परिवारों को अधिक नुकसान झेलना पड़ता है, और इसकी वजह है बहुत अधिक जनसंख्या और पारिवारिक घनत्व

इस एटलस में देश में सबसे अधिक भूस्खलन आशंका वाले स्थानों को भी दर्शाया गया है।

पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र भूस्खलन का सर्वाधिक खतरा वाला क्षेत्र है। हिमालय के बाद, पश्चिमी घाटों में उच्च भूस्खलन घनत्व है।

10 सबसे अधिक भूस्खलन आशंकित जिलों में, उत्तराखंड के दो, केरल में चार, जम्मू और कश्मीर में दो और सिक्किम में दो हैं।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल देश के सबसे अधिक भूस्खलन घनत्व वाले जिलें हैं।

Source: NRSC, Landslide Atlas

नए अध्ययन में 2000 और 2022 के बीच 80,933 भूस्खलन हॉट स्पॉट दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकतम 12,385 मिजोरम में, इसके बाद उत्तराखंड में 11,219, जम्मू और कश्मीर में 7,280 और हिमाचल प्रदेश में 1,561 थे। दक्षिणी राज्यों में, सबसे अधिक भूस्खलन हॉट स्पॉट केरल (6,039) में दर्ज किए गए हैं।

वहीं वर्ष 2010 और 20222 के बीच उत्तराखंड में सबसे अधिक भूस्खलन दर्ज किए गए। राज्य के भीतर, रुद्रप्रयाग और टिहरी जिलों में सबसे अधिक भूस्खलन दर्ज किए गए।

इस एटलस ने 2013 में केदारनाथ आपदा और 2011 में सिक्किम भूकंप के कारण हुए भूस्खलन जैसे सभी मौसमी और घटना-आधारित भूस्खलनों को मैप करने के लिए इसरो के उपग्रह डेटा का उपयोग किया।

पिछले कुछ वर्षों में भूस्खलन का खतरा बढ़ने के कारण हैं; पर्यावरणीय क्षरण और चरम मौसम की घटनाओं जैसे कि उच्च तीव्रता वाली वर्षा, जो जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ गयी है।

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