असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद समझौते पर हस्ताक्षर

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की उपस्थिति में 20 अप्रैल, 2023 को नई दिल्ली में असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच वर्षों से लंबित अंतरराज्यीय सीमा विवाद के निपटारे के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

इस महत्वपूर्ण समझौते पर असम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने हस्ताक्षर किए।

दोनों राज्यों के बीच अंतर्राज्यीय सीमा से सटे 123 गांवों से संबंधित इस विवाद की समाप्ति के लिए हुआ समझौता ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, जनसांख्यिकीय प्रोफाइल, प्रशासनिक सुविधा, सीमा से निकटता और निवासियों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

ये गांव अरुणाचल प्रदेश के 12 और असम के 8 जिलों में स्थित हैं। समझौते के तहत दोनों राज्य सरकारों में इस बात पर सहमति बन गई है कि 700 किलोमीटर से अधिक की दोनों राज्यों के बीच की सीमा के संबंध में यह समझौता पूर्ण और अंतिम (फाइनल) होगा और दोनों पक्षों द्वारा भविष्य में किसी भी क्षेत्र या गांव से संबंधित कोई नया दावा पेश नहीं किया जाएगा।

विवाद की पृष्ठभूमि

वर्ष 1954 में नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी या NEFA (अरुणाचल प्रदेश का पूर्व नाम) को असम से अलग करने से पहले, असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई की अध्यक्षता वाली एक उप-समिति ने NEFA के प्रशासन के संबंध में कई सिफारिशें की थीं।

वर्ष 1972 में जब अरुणाचल को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, तो उसने तर्क दिया कि उसके मैदानी इलाकों में कई जंगली इलाके जो परंपरागत रूप से पहाड़ी आदिवासी प्रमुखों और समुदायों से संबंधित थे, एकतरफा रूप से असम को स्थानांतरित कर दिए गए थे।

तब से दोनों राज्यों के अपने-अपने दावे किये जाते रहे हैं और इसे सुलझाने के लिए प्रयास होते रहे हैं। अब जाकर इस पर सहमति बनी है।

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