बैटिलिप्स चंद्रायणी: समुद्री टार्डिग्रेड की एक नई प्रजाति

कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (क्यूसैट) के शोधकर्ताओं ने चंद्रयान -3 चंद्र मिशन के बाद तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से खोजी गई समुद्री टार्डिग्रेड की एक नई प्रजाति को बैटिलिप्स चंद्रायणी (Batillipes chandrayaani) नाम दिया है।

यह भारतीय जल क्षेत्र में वैज्ञानिक रूप से खोजी गयी तीसरी समुद्री टार्डिग्रेड प्रजाति है और पूर्वी तट पर दूसरी प्रजाति है।

बैटिलिप्स चंद्रायणी की खोज तमिलनाडु के मंडपम में अंतर्ज्वारीय समुद्र तट तलछट में की गई है।   टार्डिग्रेड्स सूक्ष्म जीव हैं जिन्हें आमतौर पर ‘वाटर बेयर’ के रूप में जाना जाता है, हालांकि उनका वास्तविक भालू से कोई संबंध नहीं है।

सभी ज्ञात टार्डिग्रेड प्रजातियों में से 17% समुद्री टार्डिग्रेड हैं। ये सभी महासागरों में भी पाए जाते हैं। इन जानवरों को माइक्रोमीटर में मापा जाता है और शोधकर्ता उनका अध्ययन करने के लिए एडवांस्ड  सूक्ष्मदर्शी का उपयोग करते हैं। अपने छोटे शरीर के बावजूद, ये सूक्ष्म-मेटाज़ोअन आसानी से सबसे कठिन परिस्थितियों में रहने वाले जीवों में से एक हैं।

टार्डिग्रेड्स (Tardigrades) सूक्ष्म जीव हैं जिन्हें आमतौर पर ‘जल भालू’ (water bears) के रूप में जाना जाता है, हालांकि उनका वास्तविक भालू से कोई संबंध नहीं है।

सभी ज्ञात टार्डिग्रेड प्रजातियों में से 17% समुद्री टार्डिग्रेड हैं। ये सभी महासागरों में भी पाए जाते हैं। इन जानवरों को माइक्रोमीटर में मापा जाता है और शोधकर्ता उनका अध्ययन करने के लिए एडवांस्ड माइक्रोस्कोप का उपयोग करते हैं।

अपने छोटे शरीर के बावजूद, ये सूक्ष्म-मेटाज़ोअन आसानी से सबसे प्रतिकूल परिस्थितयों में जीवित रहने वाले जानवरों में से एक हैं। ये बहुत अधिक और ठंड में भी जीवित रह सकते हैं।

हालांकि टार्डिग्रेड बेहद प्यारे होते हैं, वे लगभग अविनाशी भी होते हैं और बाहरी अंतरिक्ष में भी जीवित रह सकते हैं।

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