Global Biofuel Alliance: भारत ने G20 शिखर सम्मेलन से इतर वैश्विक जैव ईंधन गठबंध लॉन्च किया

भारत के प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन से इतर 9 सितंबर, 2023 को सिंगापुर, बांग्लादेश, इटली, अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं के साथ मिलकर वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (Global Biofuel Alliance: GBA) का शुभारंभ किया।

वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के बारे में

वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत की एक पहल है।

यह 30 से अधिक देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का एक समूह है, जो जैव ईंधन को अपनाने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में जैव ऊर्जा पहुंच को अनलॉक किया जा सके।

इस पहल की घोषणा की उस सितम्बर महीने में की गयी है जब तीन महत्वपूर्ण दिवस मनाये जाते हैं । 7 सितंबर को नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस और 26 सितंबर को विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

GBA सदस्यों में 19 देश और 12 अंतर्राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं। GBA का समर्थन करने वाले G20 सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, भारत, इटली, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका शामिल हैं।

GBA का समर्थन करने वाले चार G20 आमंत्रित देश बांग्लादेश, सिंगापुर, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात हैं। इसी तरह, आठ गैर-G20 देश आइसलैंड, केन्या, गुयाना, पैराग्वे, सेशेल्स, श्रीलंका, युगांडा और फिनलैंड भी GBA में शामिल हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, विश्व आर्थिक मंच, विश्व एलपीजी संगठन, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच, अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी और विश्व बायोगैस एसोसिएशन शामिल हैं।

GBA सदस्य जैव ईंधन के प्रमुख उत्पादक और उपभोक्ता हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (52 प्रतिशत), ब्राजील (30 प्रतिशत) और भारत (3 प्रतिशत), और इथेनॉल के उत्पादन में लगभग 85 प्रतिशत और खपत में लगभग 81 प्रतिशत का योगदान करते हैं।

इस गठबंधन का लक्ष्य प्रौद्योगिकी के विकास को सुविधाजनक बनाना, सस्टेनेबल बायो फ्यूल के उपयोग को बढ़ावा देना, हितधारकों की व्यापक स्तर पर भागीदारी के माध्यम से मजबूत मानक निर्धारण और प्रमाणन को आकार देकर जैव ईंधन के वैश्विक विकास में तेजी लाना है।

यह गठबंधन जैव ईंधन के मामले ज्ञान के केंद्रीय स्रोत और विशेषज्ञ केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा। GBA का लक्ष्य एक ऐसे उत्प्रेरक मंच के रूप में काम करना है, जो जैव ईंधन के विकास और व्यापक रूप से इसे अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहन देगा।

GBA वैल्यू चैन में क्षमता-निर्माण अभ्यास, राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता को बढ़ावा देकर सतत जैव ईंधन के विश्वव्यापी विकास और उपयोग का समर्थन करेगा।

यह उद्योगों, देशों, इकोसिस्टम के प्लेयर्स और प्रमुख हितधारकों को मांग और आपूर्ति की मैपिंग में सहायता करने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को अंतिम उपयोगकर्ताओं से जोड़ने के लिए एक वर्चुअल बाज़ार जुटाने की सुविधा प्रदान करेगा।

यह जैव ईंधन अपनाने और व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों, कोड, सतत सिद्धांतों और विनियमों के विकास, अपनाने और कार्यान्वयन की सुविधा भी प्रदान करेगा।

इसके अलावा, गठबंधन सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा और प्रौद्योगिकी निर्यात और उपकरण निर्यात के रूप में भारतीय उद्योगों को अतिरिक्त अवसर प्रदान करेगा।

जैव ईंधन के बारे में

जैव ईंधन ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है जो बायोमास से प्राप्त होता है। भारत, जो अपनी 85 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल की जरूरतों का आयात करता है, धीरे-धीरे फसल की पराली, पौधों के अपशिष्ट और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जैसी वस्तुओं से ईंधन का उत्पादन करने की क्षमता का निर्माण कर रहा है।

भारत ने 2025 तक गन्ने और कृषि अपशिष्ट से उत्पादित इथेनॉल के मिश्रण को पेट्रोल के साथ दोगुना करके 20 प्रतिशत करने की योजना बनायी है। साथ ही कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र भी स्थापित किये जा रहे हैं।

इस तरह की पहल का उद्देश्य भारत में वैकल्पिक ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना और तेल आयात बिल में कटौती करना है। इससे भारत को 2070 तक अपने नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

2022 में वैश्विक इथेनॉल बाजार का मूल्य 99.06 बिलियन डॉलर था और 2032 तक 5.1% की सीएजीआर से बढ़ने और 2032 तक 162.12 बिलियन डॉलर को पार करने का अनुमान है।

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