केरल में निपाह वायरस (Nipah virus) का संक्रमण
केरल के मलप्पुरम जिले के पांडिक्कड़ में 15 वर्षीय एक लड़के की 21 जुलाई को निपाह वायरस (Nipah virus) के संक्रमण से मौत हो गई। केरल में निपाह से हुई मौत के बाद, पब्लिक हेल्थ उपायों में राज्य का समर्थन करने के लिए ICMR की छह सदस्यीय विशेषज्ञ टीम को कोझीकोड भेजा गया था।
केरल के स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, निपाह से मरने वाले लड़के ने कथित तौर पर चमगादड़ों से भरे एक भूखंड से हॉग प्लम (अंबझंगा) खाया था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन निपाह वायरस (NiV) को एक जूनोटिक वायरस के रूप में वर्णित करता है। इसका मतलब है कि यह वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैलता है और दूषित भोजन या संक्रमित लोगों के सीधे संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
फ्रूट बैट (Pteropus bat species) निपाह वायरस के कॉमन होस्ट हैं, और मनुष्य गलती से चमगादड़ से दूषित फल खाने से संक्रमित हो सकते हैं। संक्रमण मामले में मृत्यु दर 40% से 75% होने का अनुमान है।
निपाह वायरस जानवरों (जैसे चमगादड़ या सूअर) या दूषित खाद्य पदार्थों से मनुष्यों में फैल सकता है और सीधे मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है।
इस वायरस से संक्रमित लोगों या जानवरों के लिए कोई उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है।
निपाह वायरस की पहचान सबसे पहले 1999 में मलेशिया में सुअर पालने वाले किसानों में एक प्रकोप के दौरान हुई थी। 1999 के बाद से मलेशिया में कोई नया प्रकोप नहीं देखा गया है।
2001 में बांग्लादेश में भी इसकी पहचान हुई और तब से उस देश में लगभग हर साल इसका प्रकोप देखा जा रहा है। पूर्वी भारत में भी समय-समय पर इस बीमारी की पहचान की गई है।