ट्रीटी ऑन कन्वेंशनल आर्म्ड फोर्सेज इन यूरोप (CFE)

नाटो ने 7 नवंबर को “यूरोप में पारंपरिक सशस्त्र बलों पर संधि (Treaty on Conventional Armed Forces in Europe: CFE)”  के औपचारिक निलंबन की घोषणा की। रूस के इस संधि से बाहर निकलने के जवाब में ऐसा किया गया है।

कुछ दिन पहले रूस ने आधिकारिक तौर पर CFE संधि से बाहर होने की घोषणा की थी।

बर्लिन की दीवार गिरने के ठीक एक साल बाद 1990 में हस्ताक्षर की गयी CFE संधि ने पारंपरिक हथियारों और इक्विपमेंट पर प्रतिबंध लगा दी थी।

इस संधि पर 19 नवंबर, 1990 को 22 देशों द्वारा पेरिस में हस्ताक्षर किए गए थे। इन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया था: नाटो के तत्कालीन-16 सदस्य: संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और बेल्जियम। वारसॉ संधि के छह तत्कालीन सदस्य: बुल्गारिया, चेकोस्लोवाकिया, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और सोवियत संघ।

इसका उद्देश्य शीत युद्ध के प्रतिद्वंद्वियों को ऐसे हथियारों को बनाने से रोकना था जिनका इस्तेमाल तेजी से हमले में किया जा सके। यह समझौता उस समय रूस में अलोकप्रिय था, जहां पारंपरिक हथियारों का बोलबाला था।

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