केंद्र सरकार ने RRBs की स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टिंग के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किया

भारत सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks: RRBs) को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने (listing) के लिए मसौदा दिशानिर्देश (draft guidelines) जारी किए हैं।

लिस्टिंग के लिए मानदंड

पिछले तीन वर्षों के दौरान कम से कम ₹300 करोड़ की नेटवर्थ

संबंधित RRB के पास पिछले 3 वर्षों में प्रत्येक में 9 प्रतिशत के नियामक न्यूनतम स्तर से ऊपर की पूंजी पर्याप्तता (capital adequacy) होनी चाहिए।

RRB के पास पिछले 5 वर्षों में से 3 में न्यूनतम ₹15 करोड़ का लाभदायक रिकॉर्ड होना चाहिए।

बैंक को कोई संचित हानि नहीं होनी चाहिए।

RRB को पिछले 5 वर्षों में से 3 वर्षों में इक्विटी पर कम से कम 10 प्रतिशत का रिटर्न देना चाहिए।

प्रायोजक बैंक द्वारा उपयुक्त उधारदाताओं की पहचान

यदि सभी मानदंडों को पूरा किया जाता है तो प्रायोजक बैंकों का यह दायित्व है कि वे RRB की इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) जारी करने के लिए उपयुक्त ऋणदाताओं (lenders) की पहचान करें।

प्रायोजक बैंक यह भी सुनिश्चित करेंगे कि चुने गए RRB पूंजी जुटाने और डिस्क्लोजर आवश्यकताओं से संबंधित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्रासंगिक मानदंडों और विनियमों का अनुपालन करें।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) के बारे में

RRB का गठन RRB अधिनियम, 1976 के तहत किया गया था।

इन बैंकों की स्थापना ग्रामीण भारत में, विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में ऋण सृजन को बढ़ाने के लिए की गई थी।

RRB ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, खेतिहर मजदूरों और कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करने में मदद करते हैं।

वर्तमान में, 43 RRBs 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा समर्थित हैं। 21,856 शाखाओं के साथ, इन RRBs का भारत के 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में एक विस्तृत नेटवर्क है।

वर्तमान में, केंद्र के पास RRBs में लगभग 50% हिस्सेदारी है, जबकि लगभग 35% हिस्सेदारी संबंधित प्रायोजक बैंकों के पास है और शेष 15% शेयर राज्य सरकारों के पास हैं।

नीतिगत पहल

RRBs के लिए धन जुटाने के स्रोत को बढ़ाने के लिए, अधिनियम में 2015 में संशोधन किया गया था।

RRBs को केंद्र, राज्यों और प्रायोजक बैंकों के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई थी। अभी तक, RRBs के पास नियामक पूंजी प्राप्त करने के एक अन्य तरीके के रूप में परपेचुअल डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स (perpetual debt instruments) जारी करने का विकल्प है।

रिजर्व बैंक ने इन इंस्ट्रूमेंट्स को कुछ प्रतिबंधों के साथ अतिरिक्त टियर-1 (tier-1 capital) पूंजी के रूप में शामिल करने के पात्र बनाया है।

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