पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) को विकास वित्तीय संस्थान (DFI) का दर्जा देने का प्रस्ताव

हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय विद्युत् मंत्रालय ने पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) को विकास वित्तीय संस्थान (development financial institution: DFI) का दर्जा देने का प्रस्ताव पेश किया है।

इस कदम के पीछे का उद्देश्य PFC को वैश्विक जलवायु वित्त पोषण और देश में नेट जीरो एमिशन निवेश को चलाने में सक्षम बनाना है। इसके साथ ही , बिजली मंत्रालय के तहत एक वित्तीय संस्थान, PFC, भारत में क्लाइमेट और एनर्जी ट्रांजीशन के लिए पहला DFI होगा, यदि प्रस्ताव को मंजूर कर ली जाती है।

यह कदम देश में जलवायु ऋण और सहायता (climate loans and aid) के संचालन के लिए एक नोडल एजेंसी की कमी के बारे में कई बहुपक्षीय, विकास और संप्रभु वित्तपोषण एजेंसियों द्वारा उठाई गई चिंता का समाधान करेगा।

रिपोर्ट का कहना है कि बिजली मंत्रालय ने नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID) अधिनियम, 2021 के तहत PFC के लिए DFI का दर्जा मांगा है।

विकास वित्तीय संस्थान (development financial institution: DFI) का दर्जा एक वित्तीय संस्थान (FI) को एक सार्वजनिक वित्तीय संस्थान (PFI) की तुलना में विदेशी फंडिंग, अनुदान और ऋण आसानी से और उच्च मात्रा में एक्सेस करने में मदद करता है।

DFIआमतौर पर राष्ट्रीय सरकारों के बहुसंख्यक स्वामित्व वाले होते हैं और अपनी पूंजी को राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय विकास निधि से प्राप्त करते हैं या सरकारी गारंटी से लाभान्वित होते हैं।

यह उनकी साख को सुनिश्चित करता है, जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों में बड़ी मात्रा में धन जुटाने और बहुत प्रतिस्पर्धी शर्तों पर वित्तपोषण प्रदान करने में सक्षम बनाता है।

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