ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुएं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम खनन की अनुमति
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुएं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम जैसे कुछ खनिजों के सम्बन्ध में रॉयल्टी की दर को स्पष्ट करने के लिये खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 (इसे आगे “अधिनियम” कहा जायेगा) की दूसरी अनुसूची में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
- इस मंजूरी से ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुओं, एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम के सम्बन्ध में खनिज ब्लॉकों की नीलामी सुनिश्चित होगी, जिसके परिणामस्वरूप इन खनिजों के आयात में कमी आयेगी, खनन सेक्टर में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और निर्माण सेक्टर, समाज के सबसे बड़े वर्ग के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने में सक्षम होगा।
- इस मंजूरी से उन कई खनिजों के आयात का विकल्प तैयार होगा, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिये जरूरी हैं। इस तरह मूल्यवान विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। खनिजों के स्थानीय उत्पादन के जरिये दूसरे देशों पर देश की निर्भरता कम होगी।
- इस मंजूरी से देश में पहली बार ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुएं, एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम के सम्बन्ध में खनिज ब्लॉकों की नीलामी सुनिश्चित होगी।
- खनिज रियायतों के नये कानूनी दौर में प्रवेश के लिये अधिनियम में 2015 में संशोधन किया गया था। यह काम नीलामी के जरिये किया गया था, ताकि देश की खनिज सम्पदा के आबंटन में पारदर्शिता और भेदभाव रहित प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
- नीलामी पद्धति तब से अब तक परिपक्व हो चुकी है। खनिज सेक्टर में और तेजी लाने के लिये अधिनियम को 2021 में फिर संशोधित किया गया। सुधारों के तहत, सरकार ने खनिज ब्लॉकों की नीलामी को बहुत बढ़ावा दिया, उत्पादन में बढ़ोतरी की, देश में व्यापार सुगमता में सुधार किया और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खनिज उत्पादन का योगदान बढ़ाया।
- ग्लूकोनाइट और पोटाश जैसे खनिजों का इस्तेमाल कृषि में उर्वरक के तौर पर होता है।
- प्लेटिनम समूह की धातुओं (पीजीएम) उच्च मूल्य वाली धातु है तथा उसका इस्तेमाल विभिन्न उद्योगों और नये नवोन्मेषी एप्लीकेशन में किया जाता है।
- एंडलूसाइट, मॉलिबडेनम जैसे खनिज, महत्त्वपूर्ण खनिज हैं तथा उद्योगों में इस्तेमाल किये जाते हैं।