टोटलाइजेशन समझौता

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को लंबे समय से लंबित टोटलाइजेशन समझौते (Totalization Agreements) और भारतीय निर्यातकों के लिए जनरलाइज़्ड सिस्टम ऑफ़ प्रेफ़रेंस (GSP) लाभों की बहाली पर अमेरिका के साथ अपनी चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए कम से कम आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव खत्म होने तक इंतजार करना पड़ सकता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका के कई देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते हैं, जिन्हें टोटलाइजेशन समझौते कहा जाता है।

टोटलाइजेशन समझौता, जिसे सामाजिक सुरक्षा समझौता भी कहा जाता है, किसी भी भागीदार देश में अल्पकालिक प्रवासी वर्कर्स को मेजबान देश की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अंशदान करने से छूट देता है।

यह स्थिति तब होती है जब एक देश का कोई कर्मचारी दूसरे देश में काम करता है और उसे दोनों देशों की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा करों का भुगतान करना पड़ता है।

भारत लंबे समय से अमेरिका के साथ एक समग्र समझौते की कोशिश कर रहा है क्योंकि इससे अमेरिका में कार्यरत भारतीय कंपनियों, विशेष रूप से आईटी कंपनियों को अमेरिका में सामाजिक सुरक्षा योगदान में सालाना अनुमानित 4 बिलियन डॉलर या उससे अधिक की बचत करने में मदद मिल सकती है।

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