महाराष्ट्र सरकार ने रत्नागिरी के जियोग्लिफस और पेट्रोग्लिफस को ‘संरक्षित स्मारक’ घोषित किया

महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम के तहत रत्नागिरी में जियोग्लिफस और पेट्रोग्लिफस (geoglyphs and petroglyphs) को ‘संरक्षित स्मारक’ घोषित किया है।

रत्नागिरी के देउद में पेट्रोग्लिफस यानी शैलों पर उत्कीर्ण चित्रों का समूह मध्यपाषाण युग (लगभग 20,000-10,000 वर्ष पूर्व) का है।

गौरतलब है कि जियोग्लिफस और पेट्रोग्लिफस प्राचीन कला के विभिन्न प्रकार हैं। इनमें पृथ्वी की सतह या चट्टान की सतह पर चित्र या डिजाइन बनाना शामिल है।

रत्नागिरी के पेट्रोग्लिफस में गैंडे, हिरण, बंदर, गधे और पैरों के निशान दर्शाए गए हैं। कोंकण क्षेत्र में पेट्रोग्लिफस का समूह महत्वपूर्ण है क्योंकि वे मध्यपाषाण मानव की कृतियों को दर्शाते हैं।

संरक्षित किए जाने वाले स्मारक के चारों ओर कुल क्षेत्रफल 210 वर्ग मीटर है। 17 फीट लंबे पेट्रोग्लिफ़ सहित सात कलाकृतियाँ दापोली तालुका के उम्बरले गाँव में खोजी गई हैं, जबकि आठवीं मंडंगड तालुका के बोरखाट गाँव में है।

महाराष्ट्र और गोवा में कोंकण तट के 900 किलोमीटर में जियोग्लिफस फैली हुई हैं। अकेले रत्नागिरी में 70 स्थलों पर 1,500 से अधिक ऐसी कलाकृतियाँ हैं, जिनमें से सात यूनेस्को की संभावित विश्व धरोहर सूची के लिए नामित की गई हैं।

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