केरल में वेस्ट नाइल फीवर (WNV) का मामला
केरल के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के तीन जिलों; कोझिकोड, मलप्पुरम और त्रिशूर में वेस्ट नाइल फीवर के मामलों की सूचना दी है।
वेस्ट नाइल वायरस (West Nile Virus : WNV)
वेस्ट नाइल वायरस पहली बार 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल जिले में एक महिला में पाया गया था। केरल में, इसका पहला मामला 2011 में पाया गया था।
वेस्ट नाइल वायरस (West Nile Virus : WNV) एक मच्छर जनित, सिंगल-स्ट्रेन्डेड आरएनए वायरस है। यह एक फ्लेविवायरस है और जापानी एन्सेफलाइटिस और येलो फीवर के लिए उत्तरदायी वायरस से संबंधित है।
वेस्ट नाइल वायरस का संचरण क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है। पक्षियों को इस वायरस का नेचुरल होस्ट माना जाता है। जब मच्छर इन पक्षियों को काटता है तब वे संक्रमित हो जाते हैं।
यह वायरस मानव-से-मानव संपर्क से नहीं फैलता है। वेस्ट नाइल वायरस ब्लड ट्रांस्फ्यूजन के माध्यम से, संक्रमित मां से उसके बच्चे में या प्रयोगशालाओं में वायरस के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, यह “पक्षियों सहित संक्रमित जानवरों को खाने से” नहीं फैलता है। 80% संक्रमित लोगों में यह बीमारी लक्षणहीन होती है। बाकी लोगों में वेस्ट नाइल बुखार या गंभीर वेस्ट नाइल नामक रोग विकसित हो जाता है। उनके लिए, लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मतली, दाने और सूजन वाली ग्रंथियां शामिल हैं।
वेस्ट नाइल वायरस के उपचार के लिए कोई विशिष्ट प्रोफिलैक्सिस, उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है।