अंगोला ने ओपेक (OPEC) की सदस्यता छोड़ने की घोषणा की

अंगोला ने “तेल निर्यातक देशों के संगठन” यानी ओपेक (OPEC) की सदस्यता छोड़ने की घोषणा की है। तेल उत्पादन कोटा पर विवाद के चलते अंगोला ने  OPEC की सदस्यता त्यागी है। वह 16 साल से इसका सदस्य था।

गौरतलब है कि अंगोला और नाइजीरिया उप-सहारा अफ्रीका में दो सबसे बड़े तेल निर्यातक देश हैं।

अंगोला में विशाल खनिज और पेट्रोलियम भंडार हैं, और इसकी अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है – लेकिन आर्थिक विकास अत्यधिक असमान है।

इसकी अधिकांश तेल संपदा इसके पृथक  कैबिंडा प्रांत में स्थित है, जहां दशकों पुराना अलगाववादी संघर्ष चल रहा है। वैसे अंगोला पहला देश नहीं है जिसने OPEC की सदस्यता छोड़ी है।

उससे पहले इक्वाडोर, इंडोनेशिया और कतर ने भी इसकी सदस्यता त्यागी थी

ओपेक तेल निर्यातक विकासशील देशों का एक स्थायी अंतरसरकारी संगठन है जो अपने सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करता है।

इसकी स्थापना 10-14 सितंबर, 1960 को बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेजुएला द्वारा किया  गया था।

वियना में स्थित ओपेक सचिवालय पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) का कार्यकारी अंग है।

यह ओपेक संधि के प्रावधानों के अनुसार, संगठन के मुख्यालय के रूप में भी कार्य करता है।

वर्तमान में 13 देश (अंगोला सहित) इसके सदस्य हैं। ये हैं; अल्जीरिया, अंगोला (त्यागने की घोषणा), कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, गैबॉन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त और अरब अमीरात वेनेजुएला।

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