चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2023

सेंटर फॉर लॉ वारफेयर स्टडीज (CLAWS) के सहयोग से भारतीय सेना द्वारा संचालित दो दिवसीय कार्यक्रम, चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2023 (Chanakya Defence Dialogue 2023), दक्षिण एशिया और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों पर व्याख्यान के साथ 4 नवंबर को संपन्न हो गया।

नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में 3 और 4 नवंबर को छह अलग-अलग सत्रों में आयोजित कार्यक्रम, ‘भारत और हिन्दी-प्रशांत क्षेत्र की सेवा- व्यापक सुरक्षा के लिए सहयोग’ (Serving India and Indo Pacific Region- Collaborating for Comprehensive Security) विषय पर केंद्रित था।

प्राचीन रणनीतिकार चाणक्य की दूरदर्शिता से प्रेरित इस संवाद में दक्षिण एशियाई और हिन्द-प्रशांत सुरक्षा डायनामिक्स, क्षेत्र में सहयोगात्मक सुरक्षा के लिए एक रूपरेखा, उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुकूलन पर विशेष बल देने के साथ वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों, रक्षा और सुरक्षा, भारतीय रक्षा उद्योग की सहयोगात्मक क्षमता बढ़ाने के स्वरूप और भारत के लिए व्यापक प्रतिरोध हासिल करने के विकल्पों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई।

चर्चा के मुख्य निष्कर्ष

युद्ध के लिए तैयार रहना शांति का मार्ग है। एक राष्ट्र की ताकत सबसे प्रभावशाली रक्षा और सुरक्षा है। शक्ति से शांति स्थापित की जा सकती है।

सुरक्षा वातावरण को सुदृढ़ करने में अभिन्न घटकों के रूप में देश की सॉफ्ट पावर और आर्थिक शक्ति का उपयोग करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, क्वांटम, सेमी-कंडक्टर, बायोटेक्नोलॉजी, ड्रोन और हाइपरसोनिक जैसी उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियों की क्षमता और महारत भविष्य की रणनीतिक सफलताओं और विफलताओं का निर्धारण करेगी।

अंतरिक्ष, साइबर और विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में भारत की क्षमताएं भूमि, समुद्र और वायु के पारंपरिक क्षेत्रों की पूरक हैं।

भारत के पास विश्व मंच पर एक विश्वसनीय आवाज है, जो विशिष्ट है, भारतीय लोकाचार में निहित है और ग्लोबल साउथ की चिंताओं को व्यक्त करने में प्रभावी है।

मित्रवत विदेशी साझेदार देशों के साथ संयुक्त अभ्यास का दायरा और पैमाना बढ़ाया गया है।

रक्षा हार्डवेयर में आत्मनिर्भरता हासिल करने के राष्ट्रीय संकल्प को दोहराया गया, जिसे पुनर्जीवित भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा सक्षम किया जा रहा है।

वैश्विक संतुलन अब पश्चिम से पूर्व की ओर स्थानांतरित हो रहा है। भारत को उभरती विश्व व्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभाने की आवश्यकता है और इसके लिए भारत को अमेरिका और चीन सहित सभी के साथ मिलकर काम करना होगा।

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