पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (PDO) और भूमध्यरेखा में उत्पन्न होने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात के बीच संबंध

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एक शोध पत्र के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग और एक चक्रीय परिघटना जिसे “पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (Pacific Decadal Oscillation: PDO)” कहा जाता है, संयुक्त रूप से आने वाले वर्षों में भूमध्यरेखा में उत्पन्न होने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात (equatorial-origin tropical cyclones) की फ्रीक्वेंसी को बढ़ा सकती है। PDO हर 20 से 30 वर्षों में दोहराये जाने वाली परिघटना है।

प्रमुख बिंदु

शोध अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में “उत्तरी हिंद महासागर में प्रशांत दशकीय कम्पन के कारण (PDO) भूमध्यरेखीय चक्रवातों की संख्या में कमी” शीर्षक से प्रकाशित हुआ है।

निम्न-अक्षांश वाले चक्रवात (low-latitude cyclones) यानी भूमध्य रेखा के पास उत्पन्न  उष्णकटिबंधीय चक्रवात (5°N और 11°N के बीच ) की फ्रीक्वेंसी हाल के दशकों में असामान्य रूप से कम हो गई हैं। भारतीय पड़ोस में इस तरह का आखिरी बड़ा चक्रवात 2017 का ओखी चक्रवात था जिसने केरल, तमिलनाडु और श्रीलंका में तबाही मचाई थी।

पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (PDO)

पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (PDO) प्रशांत महासागर का दीर्घकालिक समुद्री तापमान उतार-चढ़ाव हैPDO लगभग हर 20 से 30 वर्षों में बढ़ता और घटता रहता है। इसमें ‘ठंडा’ (cool) और ‘गर्म’ (warm) चरण होता है।

अंतिम PDO चरण बदलाव 2014 में हुआ था, जब यह अत्यधिक पॉजिटिव (गर्म) हो गया था। ‘गर्म’ या ‘पॉजिटिव’ चरण में, पश्चिमी प्रशांत महासागर ठंडा हो जाता है और पूर्व में कील गर्म हो जाती है।

1951-1980 की तुलना में 1981-2010 में ऐसे भूमध्यरेखीय-उत्पत्ति वाले चक्रवातों की संख्या 43% कम थी, और इसका कारण यह था कि PDO ‘गर्म’ या पॉजिटिव चरण में था।

मध्य विषुवतीय प्रशांत क्षेत्र का गर्म होना, जिसे अल नीनो (El Nino) कहा जाता है, अक्सर भारत में कम वर्षा से संबंधित है, जबकि सामान्य से कम तापमान, या ला-नीना, अत्यधिक वर्षा से जुड़ा होता है।

इस पैटर्न को सामूहिक रूप से अल नीनो दक्षिणी दोलन (El Nino Southern Oscillation: ENSO) घटना कहा जाता है, जो प्रशांत क्षेत्र में दो-सात वर्षों में दोहराया जाता है।

हालाँकि, PDO एक वार्षिक घटना नहीं है और, औसतन, औसत से अधिक गर्म पश्चिमी प्रशांत महासागर और अपेक्षाकृत ठंडे पूर्वी प्रशांत महासागर से मेल खाती है।

ENSO के विपरीत, जिसका चरण किसी भी वर्ष निर्धारित किया जा सकता है, PDO  का ‘पॉजिटिव’ या ‘गर्म चरण’ समुद्र के तापमान को मापने और वायुमंडल के साथ उसके इंटरेक्शन के कई वर्षों के बाद ही जाना जा सकता है।

2019 में, PDO ने ठंडे,  नेगेटिव चरण में प्रवेश किया और यदि ऐसा ही रहा, तो इसका मतलब है कि मानसून के बाद के महीनों में भूमध्य रेखा के पास उत्पन्न होने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की संख्या अधिक हो सकती है। आमतौर पर भूमध्य रेखा के पास चक्रवातों का बनना दुर्लभ है, लेकिन जब पानी गर्म होता है, तो वे अधिक नमी प्राप्त कर सकते हैं और तीव्रता में वृद्धि कर सकते हैं।

पॉजिटिव PDO वाला ENSO आम तौर पर अच्छा नहीं होता है, लेकिन जब इसे नेगेटिव ENSO के साथ जोड़ा जाता है, तो यह भारत में अधिक बारिश लाता है।

(The file was updated on 31st August 2023.)

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