पहाड़ी कोरवा-PVTG

हाल ही में, छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी दंपति अपने दो नाबालिग बच्चों के साथ राज्य के जशपुर जिले के एक गाँव के बाहरी इलाके में एक पेड़ से लटके पाए गए थे।

यह आदिवासी दंपति पहाड़ी कोरवा (Pahadi Korvas) थे जो छत्तीसगढ़ में सात “विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों” (particularly vulnerable tribal groups”: PVTGs) में से एक है।

बता दें कि भारत के 17 राज्यों में ऐसी 75 जनजातियां (PVTGs) हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालय PVTGs को भारत की अनुसूचित जनजातियों में सबसे वल्नरेबल के रूप में वर्गीकृत करता है जो आमतौर पर लघु समूह में और बिखरे हुई बस्तियों में अलग-थलग, दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में निवास करते हैं।

1960 के दशक की शुरुआत में, यू एन ढेबर के नेतृत्व वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग ने कहा था कि अनुसूचित जनजातियों की चार “श्रेणियां” थीं, जिनमें से सबसे नीचे “बेहद अविकसित” जनजातीय समुदाय है।

इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर, 1973 में, केंद्र सरकार ने “आदिम जनजाति” (primitive tribes) नामक एक अलग श्रेणी बनाई, जिसका नाम 2006 में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) रखा गया।

इस वर्ष 1 मार्च को, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अनुसूचित जनजातियों की इस श्रेणी के लिए प्रधानमंत्री PVTG विकास मिशन की घोषणा की और इनके विकास के लिए 15000 करोड़ रुपये आवंटित किये।

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