पृथ्वी के गर्म होने से टुंड्रा इकोसिस्टम पर प्रभाव

“वार्मिंग टुंड्रा में पारिस्थितिकी तंत्र श्वसन में वृद्धि के लिए उत्तरदायी पर्यावरणीय कारक” (Environmental drivers of increased ecosystem respiration in a warming tundra) नामक एक हालिया अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी के गर्म होने से टुंड्रा इकोसिस्टम की विशेषताओं में बदलाव आ सकता है और उन्हें कार्बन सिंक से कार्बन उत्सर्जन के स्रोतों में बदल सकता है।

अध्ययन से पता चलता है कि गर्म होती जलवायु “पारिस्थितिकी तंत्र के श्वसन” (Ecosystem respiration) बढ़ाने में मदद कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप वायुमंडल में कार्बन का अधिक उत्सर्जन होगा।

इकोसिस्टम रेस्पिरेशन वास्तव में एक विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र में सजीवों द्वारा होने वाली सभी श्वसन का योग है। शोधकर्ताओं ने पाया कि बढ़ता तापमान किसी क्षेत्र की जैव-भू-रसायन को बदल देता है, नाइट्रोजन के स्तर और पीएच में परिवर्तन करके स्थानीय मृदा को प्रभावित करता है।

आर्कटिक और अल्पाइन टुंड्रा पारिस्थितिकी तंत्र को आर्गेनिक  कार्बन के बड़े भंडार के रूप में जाना जाता है। इकोसिस्टम रेस्पिरेशन  गतिविधि में वृद्धि पौधे और माइक्रोबियल श्वसन दोनों में वृद्धि के कारण हुई, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जित हुआ।  

टुंड्रा पारिस्थितिकी तंत्र (Tundra ecosystems) आर्कटिक और पहाड़ों की चोटियों पर पाए जाने वाले वृक्ष विहीन क्षेत्र हैं, जहां की जलवायु ठंडी और तेज़ हवा वाली होती है और वर्षा कम होती है।

टुंड्रा भूमि वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढकी रहती है, लेकिन गर्मियों में जंगली फूल खिलते हैं।

टुंड्रा इकोसिस्टम की विशेषताएं: कम जैव विविधता, साधारण वनस्पति संरचना, जल निकासी सीमित, विकास और रिप्रोडक्शन  का छोटा मौसम, मृत कार्बनिक पदार्थों के रूप में ऊर्जा और पोषक तत्व, मौसम के सबसे हिसाब से किसी जगह पर  जनसंख्या बढ़ते-घटते रहना (Large Population Oscillations)।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!