मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 राज्य सभा में पेश

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 10 अगस्त को राज्यसभा में “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 (Chief Election Commissioner and other Election Commissioners (Appointment, Conditions of Service and Term of Office) Bill, 2023) पेश किया।

  • चुनाव आयोग तीन सदस्यीय संस्था है, जिसमें एक CEC  और 2  EC शामिल हैं।
  • गौरतलब है कि मार्च 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति एक सेलेक्शन पैनल द्वारा की जाएगी जिसमें  प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे।
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश में इस बात को रेखांकित किया गया था कि उसके दिशानिर्देश तब तक प्रभावी रहेंगे जब तक संसद संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अनुरूप कानून नहीं बनाती।  
  • बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पहले तक, “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति सरकार की सिफारिशों के बाद राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी।

नए विधेयक में प्रावधान

  • चयन समिति: प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता (LoP) और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री की एक चयन समिति CEC और अन्य EC की नियुक्ति करेगी। जब लोकसभा में LoP को मान्यता नहीं दी गई है, वहां सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को LoP माना जाएगा।
  • सर्च कमेटी: कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक सर्च कमेटी  पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करेगी, जिन्हें चयन समिति द्वारा नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकता है। सर्च कमेटी में दो अन्य सदस्य होंगे जो सरकार के सचिव के पद से नीचे के रैंक नहीं होंगे और  जिनके पास चुनाव से संबंधित मामलों का ज्ञान और अनुभव होगा।
  • वर्तमान में, कानून मंत्री कुछ नाम प्रधान मंत्री के पास भेजते हैं। फिर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर CEC और अन्य EC की नियुक्ति करते हैं।
  • पात्रता: केंद्र सरकार के सचिव पद के समकक्ष पद धारण करने वाले या रह चुके व्यक्ति CEC और अन्य EC के पद पर नियुक्ति के पात्र होंगे
  • वेतन-भत्ते: CEC और अन्य EC के वेतन, भत्ते और अन्य सेवा शर्तें कैबिनेट सचिव के समान होंगी। पहले, 1991 के अधिनियम के अनुसार, उनका वेतन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बराबर था।

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