की-फैक्ट स्टेटमेंट (KFS)

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों और विनियमित संस्थाओं को निर्देश दिया है कि वह उन ऋणों पर अतिरिक्त शुल्क नहीं लगा सकता है जिनका पहले से की-फैक्ट स्टेटमेंट (Key Fact Statement: KFS) में खुलासा नहीं किया गया है।

ये निर्देश बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, 35ए और 56, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45JA, 45L और 45M और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए और 32 के तहत जारी किए गए हैं।

यह पहल पारदर्शिता को बढ़ावा देने और ऋण लेने वालो को पूरी जानकारी के आधार पर वित्तीय विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाने का प्रयास करती है।

RBI के अनुसार, इससे ऋण चाहने वाले को लोन डॉक्यूमेंट, रिटेल और MSME  टर्म लोन लेने से पहले सभी शर्तें और शुल्क के बारे में जानकारी मिल सकेगी। क्रेडिट कार्ड प्राप्य को इससे छूट दी गई है।

की-फैक्ट स्टेटमेंट सरल और समझने में आसान भाषा में ऋण शर्तों की मुख्य सूचनाओं का एक विवरण है, जो ऋण लेने वालों को एक स्टैण्डर्ड फॉर्मेट में प्रदान किया जाता है।

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