ऑस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ECTA) की पुष्टि की
ऑस्ट्रेलियाई संसद ने 21 नवंबर, 2022 को भारत के साथ आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (Economic Cooperation and Trade Agreement: ECTA) की पुष्टि कर दी है।
- इस पुष्टि की साथ भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA 1 जनवरी, 2023 तक लागू होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। बता दें कि भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA पर 2 अप्रैल 2022 को हस्ताक्षर किए गए थे।
- ECTA एक दशक के बाद किसी विकसित देश के साथ किया गया भारत का पहला व्यापार समझौता है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA : प्रमुख विशेषताएं एवं लाभ
- भारत ऑस्ट्रेलिया ECTA के तहत ऑस्ट्रेलिया द्वारा 100 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर शुल्क समाप्त किए जाएंगे। ECTA अर्थव्यवस्था के कई सेक्टरों को, विशेष रूप से कपड़ा, रत्न एवं आभूषण तथा फार्मास्यूटिकल्स को अत्यधिक बढ़ावा देगा।
- उल्लेखनीय है कि ECTA के परिणामस्वरूप 10 लाख से अधिक रोजगारों के सृजन की उम्मीद है। इस समझौते से भारत में सेवा क्षेत्र के लिए भी नए अवसर खुलने की उम्मीद है और इससे छात्रों को प्रचुर लाभ मिलेगा जिन्हें ऑस्ट्रेलिया में काम करने का अवसर प्राप्त होगा। भारत के योग गुरुओं तथा शेफ के लिए 1800 का वार्षिक वीजा कोटा स्थापित किया जाना है।
- ECTA के तहत सुविधा प्राप्त व्यापार संबंध साझा हितों तथा व्यापार सहयोगों के साथ दो जीवंत अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत- ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक साझीदारी पर एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा।
- इस समझौते में दो मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों के संपूर्ण क्षेत्र में सहयोग सन्निहित है।
- यह ऑस्ट्रेलिया के सात लाख से अधिक भारतीय प्रवासियों, जो दूसरा सबसे बड़ा कर दाता डायस्पोरा है, के साथ भी जुड़ेगा जो ऑस्ट्रेलिया के समाज और अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय योगदान देता है।
- ECTA दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने एवं सुधार लाने के लिए एक संस्थागत तंत्र उपलब्ध कराता है। ऐसी उम्मीद है कि इस समझौते के साथ, कुल द्विपक्षीय व्यापार पांच वर्षों में वर्तमान 31 बिलियन डॉलर से बढ़कर 45-50 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।
- भारत के वस्तु व्यापार के 2026-27 तक 10 बिलियन डॉलर बढ़ जाने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, चूंकि श्रम केंद्रित सेक्टर लाभान्वित होंगे, ऐसी उम्मीद की जाती है कि इससे भारत में कम से कम 10 लाख अतिरिक्त रोजगार सृजित होंगे, निवेश के लिए पर्याप्त अवसरों का निर्माण होगा और स्टार्ट अप्स को भी बढ़ावा मिलेगा।
- इसी प्रकार, यह ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों के लिए अधिक रोजगारों का सृजन करेगा तथा भारत में अधिक प्रेषित राशि (Remittance)आएगी।
- ऑस्ट्रेलिया के निर्यातों के लगभग 96 प्रतिशत कच्चे माल तथा इंटरमीडिएट उत्पाद होते हैं जो कई भारतीय उद्योगों को सस्ता कच्चा माल प्राप्त करने में सक्षम करेगा तथा उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
- निवेशों से आधुनिक प्रौद्योगिकी के उच्चतर मूल्य उत्पादों की उपस्थिति बढ़ने में सहायता प्राप्त होगी जिससे मूल्य श्रृंखला (इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रोनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स तथा मेडिकल उपकरण ) में वर्टिकल मूवमेंट को बढ़ावा मिलेगा।
- फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में एक अन्य प्रमुख लाभ होगा जहां अन्य विकसित देश में स्वीकृत औषधियों को पैटेंटीकृत, जेनेरिक तथा बायोसिमिलर दवाओं के लिए त्वरित गति से मंजूरी प्राप्त होगी।
- जहां तक सेवा क्षेत्र में व्यापार का संबंध है तो, ऑस्ट्रेलिया ने लगभग 135 उप क्षेत्रों में जो आईटी, आईटीईएस, व्यवसाय सेवा, स्वास्थ्य, शिक्षा और ऑडियो विजुअल जैसे भारत के दिलचस्पी वाले क्षेत्रों को कवर करते हैं, व्यापक प्रतिबद्धताएं प्रस्तुत की हैं।
- सेवा क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रस्तुत कुछ प्रमुख प्रस्तावों में – शेफ एवं योग गुरुओं के लिए कोटा, पारस्परिक आधार पर भारतीय छात्रों के लिए 2-4 वर्षों के लिए पोस्ट स्टडी वर्क वीजा, व्यावसायिक सेवाओं तथा अन्य लाइसेंसप्राप्त/ विनियमित पेशों की आपसी स्वीकृति तथा युवा प्रोफेशनलों के लिए वर्क तथा होलीडे वीजा व्यवस्था शामिल हैं।
- इसके अतिरिक्त, इस समझौते के तहत IT/ITES से संबंधित दोहरा कराधान के तहत लंबे समय से विचाराधीन मुद्वों का समाधान कर दिया गया है जो उद्योग संगठनों से प्राप्त अनुमानों के अनुसार प्रति वर्ष 200 मिलियन डॉलर से अधिक की आर्थिक बचत में सहायक होगा।
ऑस्ट्रेलिया भारत का एक महत्वपूर्ण सणनीतिक साझीदार है और दोनों ही चार देशों के क्वाड, त्रिपक्षीय आपूर्ति श्रृंखला पहल तथा हिन्द-प्रशांत आर्थिक फोरम (Indo-Pacific Economic Forum: IPEF) के हिस्से हैं।