इसरो ने सफलतापूर्वक स्पैडेक्स स्पेस डॉकिंग मिशन पूरा किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 16 जनवरी को घोषणा की कि भारत ने अंतरिक्ष डॉकिंग में सफलता प्राप्त कर ली है, जिससे वह ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। यह उपलब्धि स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन के तहत हासिल की गई, जो भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस नवीनतम उपलब्धि के साथ, भारत ने रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन जैसे देशों की श्रेणी में स्थान प्राप्त कर लिया है, जिन्होंने सफलतापूर्वक स्पेस डॉकिंग की तकनीक को अंजाम दिया है।

SpaDeX मिशन के तहत दो छोटे उपग्रहों का उपयोग किया गया:

  • SDX01 (चेज़र)
  • SDX02 (टारगेट)
    दोनों उपग्रहों का वजन लगभग 220 किलोग्राम था।

इस प्रक्रिया में उपग्रहों को 15 मीटर के होल्ड पॉइंट से 3 मीटर के होल्ड पॉइंट तक ले जाया गया, जिसके बाद सटीक डॉकिंग, रिट्रैक्शन (पुनः समायोजन), और स्थिरता के लिए रिगिडाइजेशन (मजबूती) को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। डॉकिंग के बाद, ISRO ने रिपोर्ट दी कि दोनों उपग्रहों को एक एकीकृत ऑब्जेक्ट के रूप में नियंत्रित करना सफलतापूर्वक संभव हुआ।

SpaDeX मिशन के उद्देश्य और महत्व: SpaDeX मिशन, परियोजना निदेशक एन. सुरेंद्रन के नेतृत्व में, इस तकनीक का प्रदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो लो-अर्थ ऑर्बिट में अंतरिक्ष यान के पुनर्मिलन (rendezvous), डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए आवश्यक है।  यह तकनीक भविष्य के प्रमुख मिशनों, जैसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान-4, के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।

SpaDeX मिशन ने एक और बड़ी सफलता हासिल की: डॉक किए गए उपग्रहों के बीच विद्युत ऊर्जा के स्थानांतरण (electric power transfer) का प्रदर्शन। यह तकनीक अंतरिक्ष में रोबोटिक्स, अंतरिक्ष यान के नियंत्रण, और अनडॉकिंग के बाद पेलोड संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।इससे पहले, 30 दिसंबर को ISRO ने PSLV-C60 रॉकेट का प्रक्षेपण किया था, जिसमें SpaDeX के साथ-साथ अन्य नवीन पेलोड्स भी शामिल थे।

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