मलेशिया की “ओरंगउटान कूटनीति”
मलेशिया “ओरंगउटान कूटनीति” (“orangutan diplomacy) रणनीति के तहत उन देशों को उपहार के रूप में ओरंगउटान देने की योजना बना रहा है जो उसका पाम आयल खरीदते हैं। मलेशिया से पाम आयल खरीदने वाले देशों में चीन और भारत प्रमुख देश हैं।
मलेशिया की इस रणनीति का उद्देश्य पाम आयल के पर्यावरणीय दुष्प्रभावों पर वैश्विक चिंताओं को कम करना है।
इंडोनेशिया के बाद मलेशिया पाम आयल का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। मलेशिया और पड़ोसी इंडोनेशिया में वनों की कटाई के लिए पाम तेल की वैश्विक मांग को जिम्मेदार ठहराया गया है।
ऐसा आरोप लगाया गया है कि आयल पाम की खेती के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों को साफ़ किया जा रहा है जिससे ओरंगउटान के रहने की जगहें कम होती जा रही हैं।
ओरंगउटान के बारे में
ओरंगउटान की तीन प्रजातियां हैं: बोर्नियन, सुमात्रन और हाल ही में (2017 में) पुष्टि की गई नई प्रजाति “तपानुली“।
ये ग्रेट ऐप (ग्रेट वानर) केवल बोर्नियो और सुमात्रा द्वीपों के जंगलों में पाए जाते हैं। बोर्नियन ओरंगउटान बोर्नियो द्वीप की एंडेमिक प्रजाति है।
सुमात्रन ओरंगुटान इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के उत्तर में पाया जाता है।
ओरंगउटान की सभी तीन प्रजातियों को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा क्रिटिकली एंडेंजर्ड के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
ओरंगउटान अविश्वसनीय रूप से निपुण होते हैं और खाना संग्रह करते समय और पेड़ों के बीच से यात्रा करते समय दोनों हाथों और पैरों का उपयोग करते हैं।
इंसान की तरह, ओरंगुटान की चार उंगलियां और एक अंगूठा और नाखून होते हैं।
वे हर रात सोने के लिए एक प्लेटफार्म या घोंसला बनाते हैं।
कुछ सुमात्रन ओरंगुटान पेड़ों के छेदों से दीमक, चींटियों या मधुमक्खियों को बाहर निकालने के लिए छड़ी (स्टिक) जैसे टूल्स का उपयोग करते हैं।