चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा नामांकन

गुजरात में सूरत लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। यह कांग्रेस पार्टी द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार के नामांकन पत्र की अस्वीकृति और अन्य उम्मीदवारों द्वारा नामांकन वापस लेने के बाद हुआ है।

यह पहली बार नहीं है, जब कोई उम्मीदवार लोकसभा के लिए निर्विरोध चुना गया हो। अब तक कम से कम 35 उम्मीदवार ऐसे हैं जो लोकसभा के लिए निर्विरोध चुने गए हैं। उनमें से अधिकांश स्वतंत्रता के बाद पहले दो दशकों में चुने गए थे और आखिरी बार 2012 में एक ऐसा ही उम्मीदवार को निर्विरोध चुना गया था।

गौरतलब है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RP Act) की धारा 33 में वैध नामांकन की आवश्यकताएं शामिल हैं। RP अधिनियम के अनुसार, 25 वर्ष से अधिक आयु का निर्वाचक (VOTER) भारत के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ सकता है, हालांकि, उम्मीदवार का प्रस्तावक उस संबंधित निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक होना चाहिए जहां नामांकन दाखिल किया जा रहा है।

यदि कोई उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है, तो निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदाता को अपनी उम्मीदवारी का प्रस्ताव देना (proposer) आवश्यक है।

हालांकि, यदि उम्मीदवार एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में या किसी पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल द्वारा नामित उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है, तो निर्वाचन क्षेत्र के दस मतदाताओं को प्रस्तावक के रूप में नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा।

RP अधिनियम की धारा 36 के अनुसार, रिटर्निंग ऑफिसर  को प्रस्तावकों के हस्ताक्षर सत्यापित करने होंगे। यदि वह अधिकारी यह निर्धारित करता है कि प्रस्तावकों के हस्ताक्षर वास्तविक नहीं है, जैसा कि प्रस्तावक ने दावा किया है, तो अपर्याप्त प्रस्तावकों के कारण उम्मीदवार का नामांकन पत्र खारिज कर दिया जाएगा।

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