भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 (Article 142) एक प्रावधान है जो सर्वोच्च न्यायालय को उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में पूर्ण न्याय (complete justice) करने के लिए आवश्यक डिक्री या आदेश पारित करने का अधिकार देता है।
यह ऐसे डिक्री या आदेश को भारत के पूरे संप्रभु क्षेत्र में लागू करने योग्य बनाता है।
यह सर्वोच्च न्यायालय को शामिल पक्षों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए कानून या कानून की सीमाओं को पार करने की एक अनूठी शक्ति देता है। यह सर्वोच्च न्यायालय को कुछ स्थितियों में कार्यकारी (executive) और विधायी कार्य (legislative) करने में सक्षम बनाता है, जैसे सरकार या अन्य अधिकारियों को दिशानिर्देश, निर्देश या आदेश जारी करना।
यह सर्वोच्च न्यायालय को सार्वजनिक हित, मानवाधिकारों, संवैधानिक मूल्यों या मौलिक अधिकारों के मामलों में हस्तक्षेप करने और उन्हें किसी भी उल्लंघन से बचाने की अनुमति देता है।
यह संविधान के संरक्षक और कानून के अंतिम व्याख्याता के रूप में और न्यायिक सक्रियता और नवाचार के स्रोत के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका को बढ़ाता है।
हालांकि, शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत और कार्यपालिका और विधायिका के क्षेत्र का अतिक्रमण करने तथा न्यायिक अतिरेक या सक्रियता के आधार पर इस प्रावधान की आलोचना भी के जय है।