झारखंड के कोडरमा जिले में ‘वल्चर रेस्टोरेंट’ की स्थापना

गिद्धों को विलुप्त होने से बचाने के लिए झारखंड के कोडरमा जिले में एक ‘वल्चर रेस्टोरेंट’ (Vulture Restaurant) स्थापित किया गया है। यह तिलैया नगर परिषद के अंतर्गत गुमो में स्थित है।

इस पहल का उद्देश्य गिद्धों पर मवेशियों को दी जाने वाली दवाओं, विशेष रूप से डाइक्लोफेनाक के प्रतिकूल प्रभाव से बचाना  है।

यह रेस्टोरेंट रेस्तरां एक हेक्टेयर में फैला है और इसे पक्षियों के आहार स्थल के रूप में नामित किया गया है। वल्चर रेस्टोरेंट की कांसेप्ट गिद्धों की घटती आबादी को रोकने करने का प्रयास करती है, जो जानवरों के शवों को तेजी से भक्षण करने में इसकी इकोलॉजिकल भूमिका के लिए महत्वपूर्ण है।

वन अधिकारियों ने सावधानीपूर्वक तैयार किए गए प्रोटोकॉल के महत्व पर प्रकाश डाला है, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि गिद्धों के खाने के लिए मृत पशुओं  के शवों फेंके जाने से पहले डाइक्लोफेनाक या हानिकारक तत्वों से मुक्त किया जाए। अन्य जानवरों को आने से रोकने के लिए  रेस्टोरेंट स्थल के चारों ओर बांस की बाड़ लगाई गई है।

झारखंड में कभी अधिक संख्या में  गिद्ध पाए जाने थे, लेकिन पशुओं को दी जाने वाली प्रतिबंधित एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा डाइक्लोफेनाक के व्यापक उपयोग के कारण गिद्ध लगभग गायब हो गए हैं। डाइक्लोफेनाक-दूषित ऊतकों के संपर्क में आने से गिद्धों की किडनी फेल हो जाती है।

गिद्धों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची (1) के तहत संरक्षित किया गया है।

देश में पहला ‘वल्चर रेस्टोरेंट’ 2015 में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के फणसाड वन्यजीव अभयारण्य में खुला था। ऐसे चार अन्य वल्चर रेस्टोरेंट गढ़चिरौली में और एक नासिक जिले के हरसुल में हैं, सभी एक ही राज्य में हैं।

भारत में पायी जाने वाली  गिद्ध प्रजातियों में  ‘जिप्स’ की तीन प्रजातियाँ – लॉन्ग बिल्ड (जिप्स इंडिकस) और स्लेंडर बिल्ड (जी. टेनुइरोस्ट्रिस) आश्चर्यजनक रूप से 97 प्रतिशत कम हो गई थीं, जबकि वाइट बैक्ड गिद्ध (white-backed) (जी. बेंगालेंसिस) की संख्या में  1992 और 2007 के बीच 99.9 की गिरावट की गिरावट आई है।  

वाइट बैक्ड और स्लेंडर बिल्ड तीन दुर्लभ प्रजातियों में से दो हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड डेटा सूची में क्रिटिकली एंडेंजर्ड  के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

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