राष्ट्रीय अभिलेखागार में गिलगित पांडुलिपि (Gilgit Manuscripts) उपलब्ध कराई गई
संस्कृति राज्यमंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) में 75वां अंतरराष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस मनाने के लिए 9 जून 2023 को आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के तहत “हमारी भाषा, हमारी विरासत” शीर्षक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
788 भाषाएं अकेले भारत में बोली जाती हैं
यह प्रदर्शनी एक राष्ट्र के रूप में भारत की भाषाई विविधता की बहुमूल्य विरासत को याद करने का एक प्रयास है.
एक अनुमान के अनुसार, वैश्विक स्तर पर बोली जाने वाली 7,111 भाषाओं में से लगभग 788 भाषाएं अकेले भारत में बोली जाती हैं।
इस प्रकार, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया और नाइजीरिया के साथ भारत दुनिया के चार सबसे अधिक भाषाई विविधता वाले देशों में से एक है।
गिलगित पांडुलिपि (Gilgit Manuscripts)
अंतरराष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस के अवसर पर, राष्ट्रीय अभिलेखागार ने 5-6 सदी के बीच लिखी गई गिलगित पांडुलिपि (Gilgit Manuscripts) उपलब्ध कराई है, जो भारत का सबसे पुराना पांडुलिपि संग्रह है।
उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर क्षेत्र में बर्च के पेड़ों की छाल की आंतरिक परत के टुकड़ों पर लिखे बर्च की छाल फोलियो दस्तावेजों में विहित एवं गैर-विहित जैन तथा बौद्ध रचनाएं शामिल हैं जो विभिन्न धार्मिक-दार्शनिक साहित्य के विकास पर प्रकाश डालते हैं।
यह प्रदर्शनी अभिलेखीय भंडार से निकाली गई मूल पांडुलिपियों (जैसे बर्च-छाल पर लिखित गिलगित पांडुलिपियां, तत्त्वार्थ सूत्र, रामायण, और श्रीमद भगवद् गीता आदि), सरकार की आधिकारिक फाइलों, औपनिवेशिक शासन के तहत प्रतिबंधित साहित्य, प्रतिष्ठित हस्तियों की निजी पांडुलिपियों के साथ-साथ एनएआई पुस्तकालय में रखी दुर्लभ पुस्तकों के समृद्ध संग्रह में से चयनित संकलन प्रस्तुत करती है।
इस प्रदर्शनी में दुनिया की सबसे प्राचीन पांडुलिपियां शामिल हैं-गिलगित पांडुलिपियों को नौपुर गांव (गिलगित क्षेत्र) में तीन चरणों में खोजा गया था, और इसकी घोषणा पहली बार 1931 में पुरातत्वविद् सर ऑरेल स्टीन द्वारा की गई थी।
राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India)
राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) की स्थापना 11 मार्च 1891 को कोलकाता (कलकत्ता) में इंपीरियल रिकॉर्ड विभाग के रूप में की गई थी।
वर्ष 1911 में राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने के बाद, राष्ट्रीय अभिलेखागार की वर्तमान इमारत का निर्माण 1926 में किया गया था। इस इमारत का डिजाइन सर एडविन लुटियंस द्वारा तैयार किया गया था।
सभी अभिलेखों का कलकत्ता से नई दिल्ली स्थानांतरण 1937 में पूरा हुआ।
राष्ट्रीय अभिलेखागार सार्वजनिक अभिलेख अधिनियम, 1993 और सार्वजनिक अभिलेख नियम, 1997 के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी भी है।