व्यक्तित्व अधिकार (Personality rights)

दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में बॉलीवुड स्टार अनिल कपूर के नाम, छवि, आवाज और पोज के किसी तीसरे पक्ष द्वारा गैरकानूनी उपयोग को रोकने के लिए एक आदेश पारित किया। अदालत ने अपने आदेश के माध्यम से किसी तीसरे पक्ष को वाणिज्यिक उद्देश्य से अभिनेता के व्यक्तित्व अधिकारों (personality rights) का उल्लंघन करने से रोक दिया।

व्यक्तित्व के अधिकार: प्रमुख तथ्य

नाम, आवाज, हस्ताक्षर, चित्र या जनता द्वारा आसानी से पहचानी जाने वाली कोई अन्य विशेषता किसी सेलिब्रिटी के व्यक्तित्व के मार्कर हैं और इन्हें “व्यक्तित्व अधिकार” (personality rights) के रूप में शामिल किया जाता है।

इनमें व्यक्तित्व संबंधी मुद्रा (pose), व्यवहार या उनके व्यक्तित्व का कोई भी विशिष्ट पहलू शामिल हो सकता है।

कई मशहूर हस्तियां व्यावसायिक रूप से उपयोग करने के लिए अपने कुछ पहलुओं को ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत भी करती हैं। उदाहरण के लिए, उसेन बोल्ट का “बोल्टिंग” या लाइटनिंग पोज़ एक पंजीकृत ट्रेडमार्क है।

इसके पीछे विचार यह है कि केवल इन विशिष्ट विशेषताओं के स्वामी या निर्माता को ही इससे कोई व्यावसायिक लाभ प्राप्त करने का अधिकार है।

मशहूर हस्तियों के लिए व्यावसायिक लाभ आकर्षित करने में विशिष्टता (Exclusivity) एक बड़ा कारक है। इसलिए इसके अनधिकृत उपयोग से राजस्व की भारी हानि होती है।

व्यक्तित्व अधिकार या उनकी सुरक्षा का भारत में किसी क़ानून में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन यह निजता के अधिकार (right to privacy) और संपत्ति के अधिकार (right to property) के अंतर्गत आता है।

हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय और मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में कई अंतरिम आदेश पारित कर दिए हैं, लेकिन भारत में यह कानून अभी भी शुरुआती चरण में है। इससे पहले अमिताभ बच्चन के मामले में भी दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऐसे ही आदेश दिए थे।

एकपक्षीय निषेधाज्ञा (Ex-parte injunction)

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 संस्थाओं को मौद्रिक लाभ या व्यावसायिक उद्देश्य के लिए अनिल कपूर के नाम, समानता, छवि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फेस मॉर्फिंग और यहां तक कि जीआईएफ जैसे तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने से रोकते हुए एक पक्षीय, सर्वव्यापी निषेधाज्ञा (Ex-parte omnibus injunction) दी।

एकपक्षीय निषेधाज्ञा तब होती है जब किसी पक्ष को दूसरे पक्ष को सुने बिना राहत दी जाती है।

एक सर्वव्यापी निषेधाज्ञा (omnibus injunction) किसी भी अनधिकृत उपयोग के खिलाफ दिए गए निषेधाज्ञा को कहा जाता है – यहां तक ​​कि उन व्यक्तियों या संस्थाओं के खिलाफ भी जिनका उल्लेख याचिका में नहीं किया गया है। अर्थात वह व्यक्ति या संस्था भी किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व अधिकार का दुरूपयोग नहीं कर सकता जो उस मामले का पक्षकार नहीं रहा है।

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