छत्तीसगढ़ ने राज्य के बैगा आदिवासी समुदाय को हैबिटैट का अधिकार प्रदान किया

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की बैगा “पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप (PVTG)” को हैबिटैट का अधिकार (habitat rights) प्रदान किया है।
  बैगा, हैबिटैट का अधिकार प्राप्त करने वाला राज्य का दूसरा समूह बन गया। हैबिटैट का अधिकार प्राप्त करने वाला राज्य का यह दूसरा PVTG समूह है।  इससे पहले कमार आदिवासियों को यह अधिकार प्रदान किया गया था।  

6,483 लोगों की आबादी वाले कुल 19 बैगा हैबिटैट का अधिकार दिए गए हैं।

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिला प्रशासन द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में गौरेला ब्लॉक के इन गांवों/पारा/टोलों को अधिकार प्राप्त हुए।

बैगा समुदाय मुख्य रूप से राज्य के राजनांदगांव, कवर्धा, मुंगेली, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम), मनेंद्र-भरतपुर-चिरमिरी और बिलासपुर जिलों में निवास करता है।

बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार पहले ही राज्य के डिंडोरी जिले के सात गांवों को हैबिटैट अधिकार की मान्यता दी है, जिनमें ज्यादातर बैगा रहते हैं।

हैबिटैट अधिकार

अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 को की धारा 3 (1) (ई) [आदिम जनजातीय समूहों और पूर्व-कृषि समुदायों के लिए आवास और निवास के सामुदायिक स्वामित्व सहित अधिकार] के तहत PVTG को हैबिटैट यानी पर्यावास अधिकार दिए गए हैं। इसे वन अधिकार अधिनियम (FRA) के रूप में भी जाना जाता है।

हैबिटैट का अधिकार की परिभाषा को 2012 में FRA में एक संशोधन के माध्यम से शामिल किया गया था।

हैबिटैट का अधिकार प्राप्त करने वाले समुदाय  को उनके निवास के पारंपरिक क्षेत्र, सामाजिक-सांस्कृतिक प्रथाओं, आर्थिक और आजीविका के साधनों, जैव विविधता और पारिस्थितिकी के बौद्धिक ज्ञान, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ उनके प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के अधिकार प्रदान करती है। 

हैबिटैट का अधिकार पीढ़ियों से चले आ रहे पारंपरिक आजीविका और पारिस्थितिक ज्ञान की रक्षा करने और बढ़ावा देने में मदद करते हैं।  

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