प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): किसान हित में कई बदलाव किए गए

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा है कि हाल के जलवायु संकट और तकनीकी एडवांसमेंट को देखते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में किसान-हितैषी बदलाव करने के लिये तैयार है।

PMFBY का महत्व

कृषि और किसान कल्याण सचिव ने कहा कि खेती जलवायु संकट का सीधा शिकार होती है, इसलिये यह जरूरी है कि प्रकृति के उतार-चढ़ाव से देश के वल्नरेबल किसान समुदाय को बचाया जाये।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम्स ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2022 में एक्सट्रीम क्लाइमेट को अगले 10 वर्षों की अवधि के लिये दूसरा सबसे बड़ा रिस्क करार दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम मे अचानक होने वाला परिवर्तन देश पर दुष्प्रभाव डाल सकता है।

बता दें कि भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी का पेट भरने की जिम्मेदारी किसान समुदाय के कंधों पर ही है। इसलिये यह जरूरी है कि किसानों को वित्तीय सुरक्षा दी जाये और उन्हें खेती जारी रखने को प्रोत्साहित किया जाये, ताकि न केवल हमारे देश, बल्कि पूरे विश्व में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

प्रमुख बदलाव और तकनीकी पहल

वर्ष 2016 में PMFBY की शुरूआत के बाद, यह योजना सभी फसलों और नुकसानों को समग्र दायरे में ले आई। इसके तहत क्षतिपूर्ति को बुवाई के पहले के समय से लेकर फसल कटाई तक की अवधि तक विस्तारित किया गया है।

2018 में इसकी समीक्षा के दौरान भी कई नई बुनियादी विशेषतायें इसमें जोड़ी गईं। फसल के नुकसान की सूचना देने का समय 48 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे कर दिया गया

इसी तरह, 2020 के संशोधन के द्वारा, योजना में वन्यजीव के हमले से नुकसान को शामिल किया गया।

योजना में एनरॉलमेंट स्वैच्छिक बनाया गया। ये सभी कदम योजना को अधिक किसान हितैषी बनाने के लिए उठाये गए हैं।

हाल ही में वेदर इन्फॉर्मेशन एंड नेटवर्क देता सिस्टम्स (WINDS), यील्ड एस्टिमेशन सिस्टम बेस्ड ऑन टेक्नोलॉजी प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमान प्रणाली (YES-Tech), कलेक्शन ऑब्जर्वेशन्स एंड फोटोग्राफ्स ऑफ क्रॉप्स (CROPIC) जैसी टेक्नोलॉजिकल पहलें शुरू की गयीं हैं।

ये कदम योजना में अधिक दक्षता तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगी। वास्तविक समय में किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिये छत्तीसगढ़ में एक एकीकृत हेल्पलाइन प्रणाली का परीक्षण चल रहा है।

चिंताएं

कुछ राज्यों ने योजना से बाहर निकलने का विकल्प चुना है। इसका प्राथमिक कारण यह है कि वे वित्तीय तंगी के कारण प्रीमियम सब्सिडी में अपना हिस्सा देने में असमर्थ हैं।

उल्लेखनीय है कि राज्यों के मुद्दों के समाधान के बाद, आंध्रप्रदेश जुलाई 2022 से दोबारा योजना में शामिल हो गया है।

ज्यादातर राज्यों ने PMFBY के स्थान पर क्षतिपूर्ति मॉडल को स्वीकार किया है। इसके तहत PMFBY की तरह किसानों को समग्र जोखिम कवच नहीं मिलता।

पिछले छह वर्षों में किसानों ने केवल 25,186 करोड़ रुपये का योगदान किया, जबकि उन्हें क्लेम के रूप 1,25,662 करोड़ रुपये चुकता किये गये। इसके लिये केंद्र और राज्य सरकारों ने योजना में प्रीमियम का योगदान किया था।

PMFBY:दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना

PMFBY मौजूदा समय में किसानों के एनरोलमेंट के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है। इसके लिये हर वर्ष औसतन 5.5 करोड़ आवेदन आते हैं तथा यह प्रीमियम प्राप्त करने के हिसाब से तीसरी सबसे बड़ी योजना है।

किसान रबी व खरीफ मौसम के लिये कुल प्रीमियम का क्रमशः 1.5 प्रतिशत और दो प्रतिशत का भुगतान करते हैं। केंद्र और राज्य प्रीमियम का अधिकतम हिस्सा वहन करते हैं।

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