सब्सिडी प्राप्त उर्वरकों के अधिक उपयोग से फसल उपज प्रभावित होने की आशंका बढ़ गयी है

उर्वरक विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-अक्टूबर 2022 के दौरान यूरिया की बिक्री में पिछले वर्ष के इसी सात महीनों की तुलना में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं डाय-अमोनियम फॉस्फेट या DAP (di-ammonium phosphate) की बिक्री में 16.9 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

  • इन दो उर्वरकों की कम कीमत और उच्च बिक्री के पीछे वजह अधिक सरकारी सब्सिडी है।
  • चिंता यह है कि इनके अधिक उपयोग के कारण मृदा में पोषक असंतुलन पैदा होगा जिसमें कुछ पोषक तत्व अधिक हो जायेंगे वहीं कुछ कम।
  • इससे मृदा की गुणवत्ता और फिर उपज प्रभावित हो सकती है

उर्वरक मूल्य निर्धारण

  • बता दें कि देश में नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटेशियम (K) का उपयोग पिछले कुछ वर्षों में 4:2:1 के मानक NPK उपयोग अनुपात में विचलन देखा गया है।
  • यूरिया और DAP पर उच्च सब्सिडी उन्हें किसानों के लिए अन्य उर्वरकों की तुलना में बहुत सस्ता बनाती है।
  • यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) फिलहाल 5,628 रुपये प्रति टन तय किया गया है। कंपनियां इस प्रशासित मूल्य पर बेचने के लिए बाध्य हैं। इनके उत्पादन की उच्च लागत या आयात की प्रतिपूर्ति केंद्र द्वारा सब्सिडी के रूप में की जा रही है।
  • अप्रैल 2010 से अन्य उर्वरक तकनीकी रूप से “गैर-नियंत्रित” (decontrolled) हैं, और केंद्र सरकार केवल कीमतों के “उचित स्तर” सुनिश्चित करने के लिए एक निश्चित प्रति टन सब्सिडी का भुगतान कर रही है। लेकिन सरकार ने, हाल के दिनों में, और विशेष रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक मूल्य वृद्धि के साथ, व्यावहारिक रूप से इन उर्वरकों को भी नियंत्रण व्यवस्था के तहत वापस ला दिया है।
  • यह उनके मूल्य निर्धारण में परिलक्षित होता है। कंपनियां 27,000 रुपये प्रति टन से अधिक पर DAP नहीं बेचती हैं, और इसी तरह Muriate of potash (MOP) के लिए MRP 34,000 रुपये प्रति टन, NPKS (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम या पोटाश और सल्फर) के लिए 29,000-31,000 रुपये प्रति टन और SSP के लिए 11,000-11,500 रुपये प्रति टन निर्धारित हैं। अधिक शुल्क वसूलने पर कंपनियां अपने सब्सिडी भुगतानों के अस्वीकृत होने, रोके जाने या विलंबित होने का खतरा उठाती हैं।
  • केंद्र सरकार ने पहली बार पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (Nutrient Based Subsidy: NBS) योजना के तहत मोलासेस से प्राप्त पोटाश (Potash Derived from Molasses: PDM) को शामिल कर दिया है ताकि चीनी मिलों द्वारा उप-उत्पाद के रूप में इसके निर्माण को बढ़ावा दिया जा सके। इस उर्वरक को PDM-0:0:14.5:0 के नाम से जाना जाता है।

(Source; Indian Express)

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