चंद्रमा के धरातल पर बेसाल्ट की उत्पत्ति के लिए एक नया तरीका का पता चला है
पृथ्वी से आंखों से दिखाई देने वाले चंद्रमा के अंधेरे क्षेत्र, जिन्हें ‘मारे’ (mare) के नाम से जाना जाता है, सौर मंडल के एक विध्वंसक इतिहास के अवशेष के गवाह हैं। हमारी गतिशील पृथ्वी पर इन विध्वंसक घटनाओं का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
चंद्रमा, पिछले अरबों वर्षों में बहुत कम बदला है, जो हमें अतीत पर अध्ययन करने के लिए अवसर प्रदान करता है। चंद्रमा के निकट की ओर बड़े mare क्षेत्र जिन्हें हम हमेशा पृथ्वी से देखते हैं, में मुख्य रूप से बेसाल्ट प्राप्त होते हैं जो ज्वालामुखीय चट्टानें हैं। ये क्षेत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि चंद्रमा कैसे ठंडा और विकसित हुआ और इसकी गर्मी के स्रोत क्या थे जिसने चट्टानों को पिघलकर वर्तमान समय की चट्टानों में क्रिस्टलीकृत रूप दिया।
अपोलो, लूना और चांग’ई-5 मिशनों ने mare क्षेत्र के बेसाल्ट का एक व्यापक संग्रह पृथ्वी पर लाया है।
अपोलो mare बेसाल्ट 3.8–3.3 Ga (Ga = एक अरब वर्ष) की आयु के हैं और पोटेशियम (K), दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (REE), और फॉस्फोरस (P) (जो एक साथ KREEP कहा जाता है) से असामान्य रूप से समृद्ध क्षेत्र से एकत्र किए गए थे, जिसे Procellarum KREEP Terrane (PKT) के नाम से जाना जाता है। ये रेडियोधर्मी तत्वों से भरपूर हैं जो चट्टानों को पिघलाने के लिए ऊष्मा प्रदान करते हैं जिसके परिणामस्वरूप KREEP समृद्ध बेसाल्ट बनते हैं।
क्या चंद्रमा पर धातु के पिघलने के वैकल्पिक तरीके हैं?
अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला सहित संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के वैज्ञानिकों की एक टीम ने चन्द्रमा के प्राचीन बेसाल्टिक उल्कापिंडों का एक अनूठा समूह पाया है जिसमें KREEP की बहुत कम मात्रा है।
इससे पता चलता है कि ये उल्कापिंड PKT से अलग क्षेत्र से आए होंगे। इस कार्य में अध्ययन किए गए नमूने हैं: (i) अंटार्कटिका में 1988 में पाया गया चंद्र उल्कापिंड असुका-881757, (ii) चंद्र उल्कापिंड कालाहारी( iii) रूसी लूना-24 मिशन द्वारा एकत्र किए गए नमूने।
गणना से पता चलता है कि ये बेसाल्ट चंद्रमा में निम्न दबाव में पिघलने का परिणाम होना चाहिए, जैसा कि पृथ्वी और मंगल जैसे अन्य स्थलीय पिंडों में होता है। इसके अलावा ये उदाहरण ये भी दिखाते हैं कि ये बेसाल्ट चंद्र आंतरिक भाग के एक शांत, उथले और अलग हिस्से से उत्पन्न हुए हैं।