NexCAR19: भारत में पहली “काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर T सेल (CAR-T cell)” थेरेपी को CDSCO ने दी मंजूरी

IIT बॉम्बे-इनक्यूबेटेड कंपनी इम्यूनोएडॉप्टिव सेल थेरेपी (ImmunoACT) को रिलैप्स्ड/रिफ्रैक्टरी B के लिए पहले ह्यूमनाइज़्ड CD19-टार्गेटेड काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर T सेल (CAR-T cell) थेरेपी उत्पाद NexCAR19 के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के विपणन प्राधिकरण की मंजूरी मिल गई है। यह भारत में सेल लिंफोमा और ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) के इलाज के लिए है।

NexCAR19 के बारे में

NexCAR19   स्वदेशी रूप से विकसित CD19-टारगेटेड CAR-T सेल थेरेपी है। यह अपनी तरह का पहला, भारत में निर्मित उत्पाद है और एडवांस्ड सेल-और-जीन थेरेपी के क्षेत्र में  प्रमुख प्रगति है।

यह कदम देश में ब्लड  कैंसर और लिम्फोमा (लिम्फ प्रणाली के कैंसर) से पीड़ित हजारों रोगियों के लिए आशा की किरण है, जो अत्याधुनिक चिकित्सा का लाभ उठाने के लिए विदेश जाने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।

गौरतलब है कि CAR-T cell इम्यूनोथेरेपी का एक एडवांस्ड रूप है जिसे पहली बार 2017 में अमेरिका में लॉन्च किया गया था।

CAR-T सेल थेरेपी के बारे में

T कोशिकाएं – जो इम्यून रिस्पांस को मैनेज करने में मदद करती हैं और रोगजनकों से संक्रमित कोशिकाओं को सीधे मारती हैं – CAR-T-सेल थेरेपी के आधार हैं।

T-कोशिकाएं श्वेत रक्त कोशिकाएं हैं जो पूरे शरीर में बीमारी और संक्रमण का पता लगाती हैं और उनसे लड़ती हैं। प्रत्येक T-कोशिका में एक रिसेप्टर होता है जो एंटीजन (प्रतिरक्षा प्रणाली को बाधित करने वाला) को पहचान सकता है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली बाहरी (बैक्टीरिया या वायरस) या शरीर के भीतर के असामान्य एंटीजन को पहचानती है, तो यह उन्हें नष्ट करने का काम कर सकती है।

लेकिन कैंसर कोशिकाओं में कभी-कभी ऐसे एंटीजन होते हैं जिन्हें शरीर नहीं समझ पाता कि ये खतरनाक हैं। परिणामस्वरूप, हमारे शरीर की इम्यून सिस्टम कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए T-कोशिकाओं को लड़ने के लिए नहीं भेज सकती है। अर्थात, ऐसी स्थति में T-कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम नहीं हो सकती हैं।

काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर T-कोशिकाएं ऐसी कोशिकाएं हैं जिन्हें प्रयोगशाला में आनुवंशिक रूप से इंजीनियर (बदलाव) किया जाता है। इससे T-कोशिकाओं के पास एक नया रिसेप्टर होता है जिससे वे कैंसर कोशिकाओं से जुड़ सकते हैं और उन्हें मार सकते हैं।

वर्तमान में उपलब्ध CAR-T–सेल उपचार प्रत्येक व्यक्तिगत रोगी के लिए अलग बनाई जाती हैं

इन्हें रोगी से T कोशिकाओं को निकल करके और उनकी सतह पर काइमरिक एंटीजन रिसेप्टर्स या CAR नामक प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए प्रयोगशाला में पुन: इंजीनियरिंग करके बनाया जाता है।

प्रयोगशाला में संशोधित T- कोशिकाओं को लाखों में “विस्तारित” करने के बाद, उन्हें फिर से रोगी के शरीर में वापस डाल दिया जाता है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो CAR-T कोशिकाएं रोगी के शरीर में बढ़ती रहेंगी और, अपने इंजीनियर रिसेप्टर के मार्गदर्शन से, अपनी सतहों पर टारगेट एंटीजन को आश्रय देने वाली किसी भी कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें मार देंगी।

ये रिसेप्टर्स “सिंथेटिक मॉलिक्यूल होते हैं, वे कुदरती रूप से मौजूद नहीं होते हैं।

B-कोशिकाएँ और T-कोशिकाएँ

लिम्फोसाइट एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका है जो प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है। लिम्फोसाइट्स के दो मुख्य प्रकार हैं: B कोशिकाएं और T-कोशिकाएं।

B-कोशिकाएं एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं जिनका उपयोग हमलावर बैक्टीरिया, वायरस और विषाक्त पदार्थों पर हमला करने के लिए किया जाता है।

T-कोशिकाएं शरीर की अपनी ही कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं जिन पर वायरस ने कब्जा कर लिया है या कैंसरग्रस्त हो गए हैं।

B-कोशिकाएं एंटीबॉडी नामक प्रोटीन बनाकर आपको संक्रमण से बचाती हैं। B-कोशिकाएँ एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका होती हैं जिन्हें लिम्फोसाइट्स कहा जाता है।

जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीजन का पता लगाती है – मार्कर जो आपके शरीर में बैक्टीरिया या वायरस जैसे खतरे का संकेत देते हैं – तो आपकी B-कोशिकाएं आक्रमणकारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं।

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