सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून कवरेज का विस्तार करने को कहा है

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत लाभार्थी की संख्या बढ़ाने को कहा है। दरअसल अभी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार खाद्यान्न उपलब्ध कराये जा रहे हैं लेकिन पिछले 10 वर्षों में जनसंख्या बढ़ गयी है।

न्यायालय ने सरकार से सोल्युशन लाने का निर्देश दिया है ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद व्यक्तियों को अधिनियम के तहत लाभ मिले।

न्यायालय ने कहा कि ‘खाद्य का अधिकार’ (Right to Food’) संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उपलब्ध एक मौलिक अधिकार है, इसलिए केंद्र को NFSA की धारा 9 के अनुसार कवरेज को फिर से निर्धारित करने का निर्देश दिया।

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि अधिनियम को नवीनतम जनगणना के आंकड़ों के अनुसार कवरेज को अपडेट करने की आवश्यकता है। हालाँकि, 2021 की जनगणना अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है और इसके प्रकाशन के संबंध में कोई तारीख अधिसूचित नहीं की गई है। इसलिए, अधिनियम के तहत कवरेज को फिर से निर्धारित नहीं किया जा सकता है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील द्वारा यह बताया गया कि कवरेज नहीं बढ़ाने के कारण, जनसंख्या में वृद्धि के बावजूद, 100 मिलियन से अधिक लोग खाद्य सुरक्षा नेटवर्क के दायरे से बाहर हो गए हैं। उन्हें राशन कार्ड जारी किए जाने चाहिए थे। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि जनगणना 2021 के प्रकाशन में देरी के आलोक में, सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रकाशित आधिकारिक जनसंख्या अनुमानों का उपयोग कवरेज का विस्तार करने के लिए कर सकती है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) : प्रमुख विशेषताएं

भारत सरकार ने जुलाई, 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act: NFSA) अधिनियमित किया जो 67 प्रतिशत आबादी (ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत) को अत्यधिक रियायती खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार देता है।

अधिनियम के तहत, प्राथमिकता वाले परिवारों की श्रेणी के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम और अंत्योदय अन्न योजना परिवारों के लिए 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह की दर से अत्यधिक रियायती कीमतों जैसे रु 1/-, रु. 2/- और रु. 3/- प्रति किलो क्रमशः पोषक अनाज, गेहूं और चावल आवंटित किया जाता है।

अधिनियम के तहत कवरेज 2011 की जनगणना के जनसंख्या आंकड़ों पर आधारित है। अधिनियम अब सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है और अधिनियम के तहत कवरेज के लिए राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा पहचाने गए लगभग 81.35 करोड़ व्यक्तियों को शामिल किया गया है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और अन्य कल्याण योजनाओं के तहत खाद्यान्न का वार्षिक आवंटन लगभग 610 लाख मीट्रिक टन है।

अब, एनएफएसए को देश में सार्वभौमिक रूप से लागू किया जा रहा हैNFSA के तहत BPL की कोई पहचान की गई श्रेणी नहीं है। हालांकि, अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के लाभार्थियों की स्पष्ट रूप से पहचान की गई है।

अधिनियम के मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक इसका जीवन-चक्र दृष्टिकोण (life-cycle approach) है जिसमें गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं और 6 महीने से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, ताकि उन्हें एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) केंद्रों का एक व्यापक नेटवर्क, जिसे ICDS योजना के तहत आंगनवाड़ी केंद्र कहा जाता है और मध्याह्न भोजन (अब प्रधानमंत्री पोषण योजना-PM पोषण) योजना के तहत स्कूलों के माध्यम से भी मुफ्त में पौष्टिक भोजन प्राप्त करने का अधिकार मिल सके।

6 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों के लिए उच्च पोषण मानदंड निर्धारित किए गए हैं।

गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं गर्भावस्था की अवधि के दौरान मजदूरी के नुकसान की आंशिक रूप से क्षतिपूर्ति करने के लिए और पोषण के पूरक के लिए भी कम से कम 6,000 रुपये का नकद मातृत्व लाभ प्राप्त करने का अधिकार है।

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