खिलौनों के माध्यम से छोटे बच्चों की लर्निंग के प्रयास और सरकारी कदम

भारत के पास पारंपरिक खिलौनों की एक समृद्ध विरासत है, जिनका विकास उपमहाद्वीप में कई हजार साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता में किया गया था। भारतीय खिलौने न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि हमें वैज्ञानिक सिद्धांत भी सिखाते हैं, जैसे हमें ‘लट्टू’ गुरुत्वाकर्षण व संतुलन और ‘गुलेल’ स्थितिज और गतिज ऊर्जा सिखाता है।

अब केंद्र सरकार स्थानीय खिलौनों का उपयोग स्वस्थ जीवन और अच्छी पोषण संबंधी प्रथाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कर रही है।

गुजरात से टेराकोटा खिलौने, आंध्र प्रदेश के कोंडापल्ली और एटिकोप्पा खिलौने, कर्नाटक के चन्नापटना खिलौने और त्रिपुरा के बांस के खिलौने का इस्तेमाल बहुत छोटे बच्चों के बीच लर्निंग के लिए स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अपनायी गयी अभिनव तरीका है।

महिला और बाल विकास मंत्रालय ने स्वदेशी खिलौनों का एक राज्य-वार राष्ट्रीय भंडार (national repository) संकलित किया है और इसे अपने महीने भर के विशेष पोषण अभियान के हिस्से के रूप में सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया है।

मंत्रालय इन स्थानीय, स्वदेशी और DIY खिलौनों का उपयोग आंगनवाड़ी केंद्रों में जागरूकता पैदा करने और बच्चों और उनके परिवारों को स्वस्थ जीवन और अच्छे पोषण प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने के लिए कर रहा है।

बता दें कि प्रधामंत्री मोदी राज्यों को अपनी स्थानीय खेल सामग्री, लोक कथाओं के साथ-साथ देशी खिलौनों को एक-दूसरे के साथ साझा करने और आदान-प्रदान करने का भी निर्देश दिया गया है।

महिला और बाल विकास मंत्रालय ने विविधता सुनिश्चित करने के लिए राज्यों का जोड़ा बनाया है, उदाहरण के लिए: पंजाब के साथ आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ अरुणाचल प्रदेश।

पोषण माह जन जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से देश में कुपोषण को दूर करने के लिए प्रत्येक वर्ष पोषण माह (पोषण माह) मनाया जाता है।

इस वर्ष यह 1 सितंबर को शुरू हुआ और पोषण जागरूकता के लिए ग्राम परिषदों को सक्रिय करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस प्रकार सभी गतिविधियों को ग्राम स्तर पर केंद्रित किया जा रहा है।

आंगनवाड़ी केंद्रों को कहा गया है कि खिलौना-आधारित और खेल-आधारित लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित करना और देखभाल करने वालों और माता-पिता को घर पर स्वदेशी खिलौनों का उपयोग करने के लिए संवेदनशील बनाये।

मंत्रालय ने महीने भर चलने वाले पोषण अभियान के दौरान राज्य स्तरीय स्वदेशी खिलौना मेलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में खिलौना बनाने की कार्यशालाओं के आयोजन का भी निर्देश दिया है। आदिवासी क्षेत्रों में स्वस्थ मां और बच्चे के लिए पारंपरिक खाद्य पदार्थों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं।

देशी खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी प्रयास

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने खिलौनों से जुड़ी शारीरिक सुरक्षा, रसायनों से सुरक्षा, ज्वलनशीलता, विद्युत सुरक्षा पर 10 भारतीय मानक प्रकाशित किए हैं।

सरकार ने 25/02/2020 को खिलौना ( गुणवत्ता नियंत्रण ) आदेश जारी किया था जिसके माध्यम से खिलौनों को 01/01/2021 से अनिवार्य भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) प्रमाणीकरण के तहत ला दिया गया है।

BIS ने खिलौनों की सुरक्षा के लिए घरेलू विनिर्माताओं को 843 लाइसेंस प्रदान किए हैं जिसमें से 645 लाइसेंस गैर-बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं तथा 198 लाइसेंस बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं।

इसके अतिरिक्त, 6 लाइसेंस अंतरराष्ट्रीय खिलौना विनिर्माताओं को प्रदान किए गए हैं। टॉयज एचएस कोड 9503 पर बेसिक कस्टम ड्यूटी फरवरी, 2020 में 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गई है। इससे स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा मिलेगा।

पिछले तीन वर्षों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

MSME मंत्रालय के पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए निधि योजना (SFURTI) के तहत, नवीनतम मशीनों, डिजाइन केंद्रों, कच्चे माल के बैंक, कौशल विकास, एक्सपोजर विजिट आदि के साथ कॉमन फैसिलिटी केंद्रों के निर्माण के लिए सहायता प्रदान की जाती है। कुल 14 टॉयज क्लस्टर इस योजना के तहत देश भर में स्वीकृत किए गए हैं, जिससे 8839 कारीगरों को लाभ हुआ है।

विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) का कार्यालय भी हस्तशिल्प कारीगरों के सतत विकास के लिए प्रौद्योगिकी, विपणन, सॉफ्ट और हार्ड इंटरवेंशन और ढांचागत समर्थन के क्षेत्र में टॉयज क्लस्टर्स को आवश्यकता आधारित सहायता प्रदान कर रहा है।

इसके अलावा, विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) के कार्यालय ने हस्तनिर्मित खिलौनों के क्लस्टर कारीगरों के समग्र विकास के लिए देश भर में 13 टॉय क्लस्टर की पहचान की है। वर्चुअल खिलौना मेला भी 27 फरवरी से 04 मार्च 2021 के दौरान आयोजित किया गया था जिसमें इन 13 समूहों के 215 कारीगरों सहित 1074 प्रदर्शकों ने भाग लिया था।

(Sources: The Hindu and PIB)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!