जियोइंजीनियरिंग (Geoengineering) क्या है?

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जियोइंजीनियरिंग (Geoengineering) जलवायु परिवर्तन को धीमा करने के लिए प्रौद्योगिकी के जरिये पृथ्वी की प्राकृतिक प्रणालियों में इरादतन बदलाव है।

जियोइंजीनियरिंग की कई तकनीकों का प्रस्ताव किया गया है। आम तौर पर, इन तकनीकों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  • सोलर रेडिएशन मैनेजमेंट (Solar Radiation Management: SRM) या सोलर जियोइंजीनियरिंग और
  • ग्रीनहाउस गैस रिमूवल (GGR) या कार्बन जियोइंजीनियरिंग (Carbon Geoengineering)।

सोलर रेडिएशन मैनेजमेंट

सोलर रेडिएशन मैनेजमेंट (Solar Radiation Management: SRM) तकनीकों का उद्देश्य सूर्य की ऊर्जा के एक छोटे से हिस्से को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित करना यानी वापस भेजना है, जो वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के बढ़े हुए स्तर के कारण तापमान वृद्धि को कम करता है। SRM की प्रमुख तकनीकें निम्नलिखित हैं:

  • अल्बेडो वृद्धि (Albedo enhancement): बादलों या भूमि की सतह की परावर्तकता बढ़ाना ताकि सूर्य की अधिक गर्मी वापस अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाए।
  • अंतरिक्ष परावर्तक: सूर्य के प्रकाश के एक छोटे से हिस्से को पृथ्वी तक पहुँचने से पहले रोकना।
  • समतापमंडलीय एरोसोल: पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से पहले सूर्य के कुछ प्रकाश को परावर्तित करने के लिए ऊपरी वायुमंडल में छोटे, परावर्तक कणों का छिड़काव किया जाता है। जैसे-एरोसोल।

ग्रीनहाउस गैस रिमूवल (GGR) या कार्बन जियोइंजीनियरिंग

GGR तकनीकों का उद्देश्य वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों को हटाना है। इससे बढ़ते ग्रीनहाउस प्रभाव और समुद्र के अम्लीकरण को रोकना है।

वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस के स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने के लिए निम्नलिखित तकनीकों का प्रस्ताव किया गया है:

  • वनीकरण (Afforestation): वैश्विक स्तर पर वृक्षारोपण के प्रयास में संलग्न होना।
  • बायोचार (Biochar): बायोमास को जलाना और और जमीन में दबाना ताकि उसका कार्बन मिट्टी में दब जाए।
  • कार्बन कैप्चर और सीक्वेस्ट्रेशन के साथ बायो-एनर्जी: बायोमास को उगाना, ऊर्जा बनाने के लिए इसे जलाना और इस प्रक्रिया में निर्मित कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करना और अलग करना।
  • परिवेशी एयर कैप्चर: ऐसी बड़ी मशीनों का निर्माण करना जो परिवेशी वायु से कार्बन डाइऑक्साइड को सीधे हटाकर कहीं और संग्रहीत कर सकें।
  • महासागर उर्वरीकरण (Ocean Fertilisation): चयनित स्थानों में समुद्र में पोषक तत्व मिलाना ताकि समुद्र में ऐसी वनस्पति को पोषण किया जा सके जो वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करे।
  • अपक्षय को बढ़ाना (Enhanced Weathering): बड़ी मात्रा में ऐसी खनिजों को बाहर लाना जो वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के साथ प्रतिक्रिया करे और फिर इससे उत्पन्न कंपाउंड को समुद्र या मिट्टी में संग्रहीत करेगा।
  • महासागर क्षारीयता बढ़ाना (Ocean Alkalinity Enhancement): समुद्र में चूना पत्थर, सिलिकेट्स, या कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड जैसी चट्टानों को पीसना, फैलाना और घोलना ताकि कार्बन को स्टोर करने की क्षमता बढ़ाने और समुद्र के अम्लीकरण को कम करने में मदद मिले।

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