बाओबाब पेड़ (Baobab Tree)
मध्य प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि राज्य वन विभाग धार के प्रसिद्ध बाओबाब पेड़ों/Baobab (अदनसोनिया डिजिटाटा) के किसी अन्य जगह ले जाने की अनुमति नहीं दे सकता है, और केवल राज्य जैव विविधता बोर्ड की अनुमति के बाद ही ऐसा किया जा सकता है। इनमें से कुछ पेड़ सदियों पुराने हैं। बाओबाब अफ़्रीकी मूल की वृक्ष प्रजाति है। मध्य प्रदेश में स्थानीय रूप से इसे खुसरानी इमली के नाम से जाना जाता है।
शुरुआत में इस पेड़ के ट्रांसलोकेशन की अनुमति दी गयी थी लेकिन इसकी विरासत और ऐतिहासिक मूल्य पर प्रकाश डालने वाली एक रिपोर्ट सामने आने के पश्चात ट्रांसलोकेशन रोक दी गयी।
रिपोर्ट के मुताबिक संभवतः 10वीं और 17वीं शताब्दी के बीच स्थानीय इस्लामिक शासकों द्वारा काम पर रखे गए अफ्रीकी सैनिकों द्वारा मध्य प्रदेश में इस वृक्ष को लाया गया था।
रिपोर्ट में हैदराबाद के एक व्यवसायी रामदेव राव द्वारा बाओबाब पेड़ों के ट्रांसलोकेशन के खिलाफ आदिवासियों के विरोध का भी उल्लेख किया गया है। धार जिला कलेक्टर ने कहा कि सरकार बाओबाब के पेड़ों को बचाने के लिए एक नई नीति बना रही है, अब, राज्य सरकार ने पेड़ों के व्यावसायिक उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।
इस पेड़ प्रजाति को जैव विविधता अधिनियम के तहत रखकर व्यावसायिक उपयोग पर प्रतिबन्ध लगाया गया है, यानी इसे व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल करने की इजाजत राज्य जैव विविधता बोर्ड से लेनी होगी। बाओबाब एक पर्णपाती वृक्ष है, जिसके पत्ते शुष्क मौसम में झड़ जाते हैं।