सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और सकल मूल्य वर्धित (GVA) में अंतर
- GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद (GDP: gross domestic product) में सब्सिडी और टैक्स निकालने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, उससे सकल मूल्य वर्धित यानी GVA (gross value added: GVA) प्राप्त होता है।
- GVA=GDP+SP−TP (SP: उत्पादों पर सब्सिडी, TP: उत्पादों पर कर )
- GDP उपभोक्ता के नजरिए से आर्थिक उत्पादन के बारे में बताता है। इसमें निजी खपत, अर्थव्यवस्था में सकल निवेश, सरकारी निवेश, सरकारी खर्च और शुद्ध विदेशी व्यापार (निर्यात और आयात का अंतर) शामिल होता है।
- GVA से उत्पादक यानी आपूर्ति पक्ष से होने वाली आर्थिक गतिविधियों का पता चलता है। वहीं GDP में मांग या उपभोक्ता पक्ष की तस्वीर दिखती है। यह आवश्यक नहीं कि दोनों ही आंकड़े एक से हों क्योंकि इन दोनों में शुद्ध कर के स्तर पर अंतर होता है।
- GVA से मिलने वाली क्षेत्रवार वृद्धि से नीति निर्माताओं को यह फैसला करने में आसानी होती है कि किस क्षेत्र को प्रोत्साहन वाले राहत पैकेज की जरूरत है। GVA किसी अर्थव्यवस्था की स्थिति जानने का सबसे सही तरीका भी है। ऐसा इसलिए कि केवल अधिक कर संग्रह होने से यह मान लेना सही नहीं होगा कि उत्पादन में तेज बढ़ोतरी हुई है क्योंकि ऐसा तो बेहतर कर अनुपालन या ज्यादा कर कवरेज की वजह से भी हो सकता है। इससे वास्तविक उत्पादन की सही तस्वीर नहीं भी मिल सकती है। वहीं GVA से अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर के उत्पादन आकड़ों की अलग तस्वीर मिलती है। इससे नीति निर्माताओं को यह जानने में मदद मिलती है कि क्या किसी सेक्टर को प्रोत्साहन वाले राहत पैकेज की जरूरत है।
- वैसे GDP का आंकड़ा अपने देश की तुलना दूसरे देश की अर्थव्यवस्था से करने में अहम साबित होता है, जब इसमें दोनों देशों की आय की तुलना की जाती है।