रिक्लेम द नाइट
15 अगस्त, 2024 (भारत का स्वतंत्रता दिवस) की रात्रि में हजारों महिलाएं जलती हुई मशालें थामे और शंख बजाते हुए पश्चिम बंगाल की अंधेरी सड़कों पर मार्च करने लगीं।
वे 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कार अस्पताल के अंदर एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और जघन्य हत्या के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थीं। महिलाओं ने “रिक्लेम द नाइट” (Reclaim The Night) के नारे लगाते हुए मार्च किया, जो इस बात का संकेत था कि 31 वर्षीय जूनियर डॉक्टर पर सरकारी आरजी कार अस्पताल में लंबी शिफ्ट से छुट्टी लेने के दौरान रात में हमला किया गया था।
बता दें कि ‘रिक्लेम द नाइट’ मार्च महिलाओं को आवाज़ देता है तथा सुरक्षित और सशक्त माहौल में रात में सड़कों पर उतरने का अवसर देता है।
उनका उद्देश्य महिला सुरक्षा के मुद्दे को हरा रात और हर दिन के एजेंडे में रखना है।
वास्तव में रीक्लेम द नाईट मार्च की शुरुआत यूनाइटेड किंगडम में 12 नवंबर 1977 को हुई थी, जब लीड्स, यॉर्क, ब्रिस्टल, मैनचेस्टर, न्यूकैसल, ब्राइटन और लंदन में पूरे इंग्लैंड में मशाल जुलूस निकाले गए थे। इन्हें लीड्स रिवोल्यूशनरी फेमिनिस्ट ग्रुप द्वारा बुलाया गया था, जो 30 अप्रैल 1977 को पश्चिमी जर्मनी के शहरों और कस्बों में यौन उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं द्वारा आयोजित ‘टेक बैक द नाईट’ मार्च से प्रेरित थे।