डांसिंग फ्रॉग-फुट फ्लैगिंग

भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट के अनुसार, डांसिंग मेंढक (dancing frogs) की प्रजाति को अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ रहा है और भारत में की सबसे संकटापन्न उभयचर प्रजाति (most threatened amphibian genus) है।

यह पश्चिमी घाट की एंडेमिक प्रजाति है अर्थात ये कहीं और नहीं प्राप्त होती है।

 वन्यजीव ट्रस्ट  ने यह विश्लेषण हाल ही में जारी ग्लोबल एम्फ़िबियन असेसमेंट के दूसरे संस्करण के आधार पर किया है।

माइक्रिक्सलस जीनस (Micrixalus genus) से संबंधित मेंढकों की 24 प्रजातियों में से दो को क्रिटिकली एंडेजर्ड  पाया गया और 15 को एंडेजर्ड   पाया गया।

यह उन्हें सभी इंडो-मलायन प्रजातियों में सबसे अधिक संकटापन्न बनाता है।

यह दुनिया की पांचवीं सबसे अधिक संकटापन्न प्रजाति है और इसकी 92 प्रतिशत प्रजातियां संकटापन्न श्रेणी में हैं।

जलधाराओं के पास पाए जाने वाले डांसिंग फ्रॉग संभोग यानी मैटिंग (Mating) का अनोखा प्रदर्शन करते हैं। नर अपने पिछले पैरों को एक-एक करके फैलाते हैं और अपने जालदार पंजों को नृत्य की तरह तीव्र गति से हवा में लहराते हैं। यह मादा को आकर्षित करने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए है।  उनकी आवाजें नदियों के तेज बहाव में दब जाती हैं इसलिए नृत्य के माध्यम से मैटिंग के लिए मादा को रिझाती हैं।

उनके इस कार्य को “फुट फ्लैगिंग” (foot flagging) कहा जाता है और इससे प्रजाति को उनका नाम मिलता है।

error: Content is protected !!