ताइवान में भूकंप और रिंग ऑफ फायर

ताइवान में 4 अप्रैल को कम से कम 25 वर्षों में आए सबसे बड़े भूकंप के बाद दस लोगों की मौत हो गई और 1,000 से अधिक घायल हो गए। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.4 थी

भूकंप का केंद्र हुलिएन काउंटी से सिर्फ 18 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में स्थित था।

ताइवान भूकंप प्रोन क्षेत्र है क्योंकि यह पैसिफिक “रिंग ऑफ फायर” के किनारे स्थित है जहां दुनिया के 90% भूकंप आते हैं। रिंग ऑफ फायर में मूल रूप से सैकड़ों सक्रिय जवालामुखी स्थित हैं और इस बेल्ट सबसे अधिक भूकंप भी आते हैं।

ये प्रशांत महासागर के किनारे स्थित जगहें हैं। रिंग ऑफ फायर बेल्ट का आकारअर्धवृत्ताकार या घोड़े की नाल जैसा है और लगभग 40,250 किलोमीटर तक फैला हुआ है।

रिंग ऑफ फायर में यूरेशियाई, उत्तरी अमेरिकी, जुआन डे फूका, कोकोस, कैरेबियन, नजका , अंटार्कटिक, इंडो-ऑस्ट्रेलियन, फिलीपीन और अन्य छोटी प्लेटों सहित कई टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन स्थित हैं, जो सभी बड़ी प्रशांत प्लेट को घेरती हैं।

यह संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया, मैक्सिको, जापान, कनाडा, ग्वाटेमाला, रूस, चिली, पेरू और फिलीपींस सहित 15 और देशों से होकर गुजरती है।

रिंग ऑफ फायर में टेक्टोनिक प्लेटों के लगातार खिसकने, टकराने या एक-दूसरे के ऊपर या नीचे जाने के कारण इतने सारे भूकंप आते हैं। ताइवान में दो टेक्टोनिक प्लेटों – फिलीपीन सी प्लेट और यूरेशियन प्लेट – की परस्पर क्रिया के कारण भूकंप आते हैं।

रिंग ऑफ फायर में अधिक सक्रिय ज्वालामुखियों का अस्तित्व टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण भी है। कई ज्वालामुखी सबडक्शन नामक प्रक्रिया से बने हैं। यह तब होता है जब दो प्लेटें आपस में टकराती हैं और भारी प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे दब जाती है, जिससे गहरी खाई बन जाती है।

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