सेल्फिंग सिंड्रोम-स्वपरागण

वैज्ञानिकों को इस बात के सबूत मिले हैं कि पेरिस में उगने वाला प्लांट फील्ड पैन्सी (वियोला अर्वेन्सिस/Viola arvensis) स्व-परागण (self-pollinating) कर रहा है। कम परागणकों (pollinators) को आकर्षित करने के लिए ये पौधे कम मकरंद (नेक्टर) और पैदा कर रहे हैं और इनके फूल भी छोटे हैं।

दरअसल ये पुष्पी पादप सेल्फिंग सिंड्रोम (selfing syndrome) के रूप में इवॉल्व हो रहे हैं।

सेल्फिंग सिंड्रोम के तहत  पौधें आउटब्रीडिंग (जिसे ज़ेनोगैमी या एलोगैमी भी कहा जाता है) से ऑटोगैमस सेल्फिंग में परिवर्तित होते हैं। इसका मतलब है कि पौधें परागण के लिए किसी अन्य पर निर्भर रहने के बदले स्वयं अपने भीतर परागण यानी स्व-परागण का गुण विकसित कर लेते हैं।

किसी पुष्प के परागकोश (anther) से उसी पुष्प अथवा किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र (stigma) तक परागकणों (pollen grains) के ट्रांसफर को परागण (Pollination) कहा जाता है।

स्वपरागण (self-pollinate) में, परागकण (pollen) परागकोश से उसी पुष्प के वर्तिकाग्र (stigma) में ट्रांसफर होते हैं।

पर-परागण यानी क्रॉस पोलीनेशन में परागकण एक पुष्प के परागकोश से उसी प्रकार के दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र (stigma) में ट्रांसफर होते हैं।

परागण प्राप्त करने के लिए पौधे दो अजैविक/abiotic (हवा और पानी) और एक जैविक/Biotic (जीवों)जेंटों का उपयोग करते हैं। अधिकांश पौधे परागण के लिए जैविक एजेंटों (कीट-फतिंगा, पक्षी, मधुमक्खी) का उपयोग करते हैं। कम पौंधें परागण के लिए अजैविक एजेंटों का उपयोग करता है।

फूल वाले पौधों में पानी द्वारा परागण काफी दुर्लभ है और यह लगभग 30 प्रजातियों तक सीमित है, जिनमें ज्यादातर मोनोकोटाइलडॉन हैं।

जल-परागणित पौधों के कुछ उदाहरण वालिसनेरिया और हाइड्रिला हैं जो ताजे पानी में उगते हैं और ज़ोस्टेरा जैसी कई  मरीन सी-ग्रास हैं।

सभी जलीय पौधे परागण के लिए पानी का उपयोग नहीं करते हैं। जलकुंभी और वाटर लिली जैसे अधिकांश जलीय पौधों में, फूल पानी के स्तर से ऊपर निकलते हैं और अधिकांश लैंड बेस्ड प्लांट्स की तरह कीटों या हवा द्वारा परागित होते हैं

हवा और पानी दोनों से परागित फूल बहुत रंगीन नहीं होते हैं और मकरंद यानि नेक्टर पैदा नहीं करते हैं।

अधिकांश फूल वाले पौधे परागण एजेंटों के रूप में विभिन्न प्रकार के जीवों का उपयोग करते हैं। मधुमक्खियाँ, तितलियाँ, मक्खियाँ, भृंग, ततैया, चींटियाँ, पतंगे, पक्षी (सनबर्ड और हमिंगबर्ड) और चमगादड़ आम परागण एजेंट हैं।

जीवों में, कीट, विशेष रूप से मधुमक्खियाँ प्रमुख जैविक परागण एजेंट हैं। यहां तक कि बड़े जानवरों जैसे कि कुछ प्राइमेट्स (लेमर्स), आर्बरियल (पेड़ों पर रहने वाले) कृंतक, या यहां तक कि सरीसृप (गीको छिपकली और बगीचे की छिपकली) को भी कुछ प्रजातियों में परागणक के रूप में सूचित किया गया है।

कीट-परागण वाले अधिकांश फूल बड़े, रंगीन, सुगंधित होते हैं और नेक्टर से समृद्ध होते हैं।

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