RBI ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCAF) सूची से हटा दिया
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 20 सितंबर को कहा कि विभिन्न मानकों में सुधार और न्यूनतम पूंजी मानदंडों का पालन करने की लिखित प्रतिबद्धता के बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई फ्रेमवर्क/ प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क (Prompt Corrective Action Framework: PCAF) की निगरानी सूची से हटा दिया गया है।
RBI के PCA ढांचे के तहत सरकार के स्वामित्व वाले तीन बैंकों में से, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक को सितंबर 2021 में वॉचलिस्ट से हटा दिया गया था।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को इसकी उच्च शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (net non-performing assets (NPAs) और परिसंपत्ति पर कम रिटर्न के कारण जून 2017 में PCA फ्रेमवर्क के तहत रखा गया था।
प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क (PCAF)
PCA मानदंड एक पर्यवेक्षी इंस्ट्रूमेंट है और इसे तब लगाया जाता है जब कोई बैंक 1. पूंजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (capital to risk weighted assets ratio: CRAR), 2. शुद्ध NPA और 3. परिसंपत्तियों पर रिटर्न ((return of assets: RoA) पर कुछ नियामक सीमाओं का उल्लंघन करता है।
मानदंडों की जोखिम सीमा के उल्लंघन की बाद RBI ने 11 सरकारी बैंकों– इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को PCA फ्रेमवर्क के तहत रखा दिया था।
RBI ने उच्च शुद्ध एनपीए और संपत्ति के नकारात्मक रिटर्न (RoA) के कारण जून 2017 में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर PCA मानदंड लागू किया था।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रदर्शन की समीक्षा करने के बाद, आरबीआई ने बैंक पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया। मार्च 2022 को समाप्त वित्तीय वर्ष में, बैंक का शुद्ध एनपीए अनुपात 3.97 प्रतिशत था, जो मार्च 2017 को समाप्त वित्त वर्ष में 10.20 प्रतिशत था।
जून 2022 को समाप्त तिमाही में, इसका शुद्ध एनपीए 3.93 प्रतिशत हो गया।