Internet shutdowns: पांचवें वर्ष भारत इंटरनेट-शटडाउन सूची में सबसे ऊपर, क्या हैं नियम?

इंटरनेट एडवोकेसी वॉचडॉग एक्सेस नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वर्ष 2022 में दुनिया में अब तक के सबसे अधिक इंटरनेट शटडाउन (Internet shutdowns) लगाए और  लगातार पांचवें वर्ष भारत इंटरनेट-शटडाउन सूची में सबसे ऊपर रहा।

क्या कहती है रिपोर्ट?

  • एक्सेस नाउ द्वारा विश्व स्तर पर रिकॉर्ड किए गए 187 इंटरनेट शटडाउन में से 84 भारत में दर्ज किये गए। एक्सेस नाउ न्यूयॉर्क स्थित डिजिटल राइट्स एडवोकेसी ग्रुप है।
  • नई रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा के कारण भारतीय अधिकारियों ने कश्मीर में कम से कम 49 बार इंटरनेट का उपयोग बाधित किया।
  • हालाँकि भारत एक बार फिर इंटरनेट शटडाउन में दुनिया में सबसे आगे रहा, लेकिन 2022 में 2017 के बाद पहली बार देश में 100 से कम इंटरनेट शटडाउन दर्ज किये गए।

इंटरनेट शटडाउन क्या है?

  • शटडाउन का मतलब इंटरनेट कनेक्टिविटी को पूर्ण रूप से बाधित करना ताकि लोग इसे एक्सेस नहीं कर सके।  
  • हालांकि सरकारें  तेजी से प्रमुख संचार प्लेटफार्मों तक पहुंच पर प्रतिबंध लगाने और बैंडविड्थ को थ्रॉटलिंग करने और मोबाइल सेवाओं को 2 जी ट्रांसफर गति तक सीमित करने जैसे उपायों का भी सहारा लेती हैं, जिससे वीडियो या लाइव पिक्चर प्रसारण साझा करना और देखना मुश्किल हो जाता है।

भारत में इंटरनेट शटडाउन के नियम

  • हालांकि कानून और व्यवस्था राज्य सूची का विषय है किन्तु इंटरनेट शटडाउन का आदेश जारी करने का अधिकार केंद्र और राज्य, दोनों के पास है।  अक्सरहां सरकारें, विधि-व्यवस्था और सुरक्षा व रक्षा का हवाला देते हुए इसका सहारा लेती हैं।  
  • संचार मंत्रालय ने संसद में जवाब दिया था कि राज्यों में मुख्य सचिव (राज्य में सबसे वरिष्ठ सिविल सेवक) की अध्यक्षता  वाली समीक्षा समिति के लिए  दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकालीन या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम  2017 के माध्यम से अनिवार्य  किया गया है कि वह सुनिश्चित करें कि  इंटरनेट शटडाउन  नियमानुसार किया गया है।
  • केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियम कहते हैं कि इंटरनेट का अस्थायी निलंबन “सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के कारण” हो सकता है, और केंद्रीय और राज्य स्तर पर गृह मंत्रालय के वरिष्ठ नौकरशाहों को शटडाउन का आदेश देने की शक्ति है।
  • सुप्रीम कोर्ट के 10 जनवरी, 2020 के फैसले के आलोक में, दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकालीन और सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 को 2020 में संशोधित किया गया।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने इंटरनेट निलंबन आदेशों के प्रकाशन को अनिवार्य कर दिया था और नियमों के संशोधन में यह प्रावधान जोड़ा गया है।
  • बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा था कि  दूरसंचार सेवाओं के इंटरनेट निलंबन के सभी आदेशों को आनुपातिकता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए और आवश्यक अवधि से आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
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