जेमिनिड उल्का बौछार (Geminids meteor shower) यूनिक क्यों हैं?

Image credit: NASA

जेमिनिड उल्का बौछार (Geminids meteor shower) 13-14 दिसंबर के आसपास अपने चरम पर पहुंच गया और और दुनिया भर के शौकीन स्काईवॉचर्स इस जादुई ब्रम्हांडीय कौतूहल के साक्षी बनने में पीछे नहीं रहे।

उल्का बौछार के बारे में

उल्कापिंड (Meteors) आमतौर पर धूमकेतुओं (comets) के टुकड़े होते हैं। जैसे ही वे तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, वे जलने लगते हैं, जिससे एक शानदार “शावर” जैसा दृश्य बनता है।

उल्कापिंड (Meteors) बचे हुए धूमकेतु कणों और क्षुद्रग्रहों के अंश होते हैं। जब ये वस्तुएं सूर्य के चारों ओर आती हैं, तो वे अपने पीछे धूल का निशान छोड़ जाती हैं।

हर साल पृथ्वी इन मलबे के रास्ते से गुजरती है, जिससे ये अंश हमारे वायुमंडल से टकराते हैं और इस तरह आकाश में उग्र और रंगीन धारियाँ के रूप में बिखर जाते हैं।

जेमिनिड्स यूनिक क्यों हैं?

नासा जेमिनिड्स को “सबसे अच्छे और सबसे विश्वसनीय वार्षिक उल्का बौछारों में से एक” ( annual meteor showers) के रूप में वर्णित करता है।

जेमिनिड्स यूनिक इसलिए हैं क्योंकि जहां अधिकांश उल्का बौछार के स्रोत धूमकेतु होते हैं वहीं , जेमिनिड्स  एक क्षुद्रग्रह, 3200 फेथॉन (asteroid-3200 Phaethon) से उत्पन्न होते हैं।

3200 फेथॉन की खोज 11 अक्टूबर, 1983 को हुई थी। इसका नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं के चरित्र फेथॉन के नाम पर रखा गया है, जो सूर्य देव हेलियोस के पुत्र हैं।

सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में इसे 1.4 वर्ष का समय लगता है। जैसे ही 3200 फेथॉन सूर्य की परिक्रमा करते हुए उसके करीब आता है, उसकी सतह पर चट्टानें गर्म होकर टूट जाती हैं।

जब पृथ्वी इस मलबे से होकर गुजरती है, जेमिनिड्स मिथुन नक्षत्र (constellation Gemini) से आनी शुरू हो जाती है।  नक्षत्र मिथुन से  ही आकाश में उल्का बौछार की उत्पत्ति होती है।

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