लघु सिंचाई (Minor irrigation) योजनाओं पर छठी गणना रिपोर्ट जारी

जल शक्ति मंत्रालय ने 26 अगस्त 2023 को लघु सिंचाई योजनाओं पर छठी गणना रिपोर्ट (6th census on minor irrigation schemes) जारी की।

लघु सिंचाई गणना के बारे में

अब तक क्रमशः रिफरेन्स वर्ष 1986-87, 1993-94, 2000-01, 2006-07 और 2013-14 के साथ पांच गणनाएं की गई हैं। रिफरेन्स वर्ष 2017-18 के साथ छठी लघु सिंचाई गणना 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में की गई।

यह गणना केंद्र प्रायोजित योजना “सिंचाई गणना” के तहत की गई।

भूजल या सतही जल का उपयोग करने वाली और व्यक्तिगत रूप से 2000 हेक्टेयर तक कृषि योग्य कमान क्षेत्र (Culturable Command Area) वाली सिंचाई योजनाओं को लघु सिंचाई योजनाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

छठी गणना के मुख्य निष्कर्ष

इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में 23.14 मिलियन लघु सिंचाई योजनाएं बताई गई हैं, जिनमें से 21.93 मिलियन (94.8%) भूजल (GW-Ground Water) और 1.21 मिलियन (5.2%) सतही जल (SW-Surface Water) योजनाएं हैं।

देश में सबसे अधिक लघु सिंचाई योजनाएं उत्तर प्रदेश में हैं, इसके बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का स्थान है। भूजल योजनाओं में अग्रणी राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना हैं। सतही जल योजनाओं में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।

भूजल योजनाओं में खोदे गए कुएं, कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल शामिल हैं। सतही जल योजनाओं में सरफेस फ्लो और सरफेस लिफ्ट योजनाएं शामिल हैं।

पांचवी गणना की तुलना में छठी लघु सिंचाई गणना के दौरान लघु सिंचाई योजनाओं में लगभग 1.42 मिलियन की वृद्धि हुई है। लघु सिंचाई योजनाओं में खोदे गए कुंओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, इसके बाद कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल हैं।

सभी लघु सिंचाई योजनाओं में से, 97.0% ‘उपयोग में हैं’, 2.1% ‘अस्थायी रूप से उपयोग में नहीं हैं’ । अधिकांश लघु सिंचाई योजनाएं (96.6%) निजी स्वामित्व में हैं। सभी व्यक्तिगत स्वामित्व वाली योजनाओं में से 18.1% का स्वामित्व महिलाओं के पास है।

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