Water Bodies Census: भारत में सर्वाधिक जल निकाय पश्चिम बंगाल में

देश के इतिहास में पहली बार जल शक्ति मंत्रालय ने जल निकायों की गणना (first-ever census of water bodies ) की है। यह गणना भारत के जल संसाधनों की एक व्यापक सूची प्रदान करती है, जिसमें प्राकृतिक और मानव निर्मित जल स्रोत जैसे तालाब, टैंक, झील आदि के साथ-साथ जल स्रोतों पर अतिक्रमण से जुड़ा डेटा एकत्र करना शामिल है।

इस गणना ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच असमानताओं और अतिक्रमण के विभिन्न स्तरों पर भी प्रकाश डाला और है देश के जल संसाधनों पर महत्वपूर्ण जानकारी सामने रखी है।

यह गणना सभी जल स्रोतों के एक समग्र राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के क्रम में छठी लघु सिंचाई गणना (6th Minor Irrigation Census) के अनुरूप केंद्र प्रायोजित योजना “सिंचाई गणना” (Irrigation Census) के तहत शुरू की गई थी।

इसमें ग्रामीण के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में स्थित उन सभी जल निकायों को शामिल किया गया है जो उपयोग में हैं या उपयोग में नहीं हैं।

गणना में जल स्रोतों के सभी प्रकार के उपयोगों जैसे सिंचाई, उद्योग, मत्स्यपालन, घरेलू/पेयजल, मनोरंजन, धार्मिक, भूजल पुनर्भरण आदि को भी ध्यान में रखा गया है।

जल निकायों की गणना के मुख्य निष्कर्ष

देश में 24,24,540 जल निकायों की गणना की गई है, जिनमें से 97.1% (23,55,055) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और केवल 2.9% (69,485) शहरी क्षेत्रों में हैं।

जल निकायों (वाटर बॉडी) की संख्या के मामले में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और असम हैं जहां देश के कुल जल निकायों का लगभग 63% हैं।

शहरी क्षेत्रों में जल निकायों की संख्या के मामले में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और असम हैं।

59.5 प्रतिशत जल निकाय तालाब हैं, इसके बाद टैंक (15.7%), जलाशय (12.1%), जल संरक्षण योजनाएं / रिसाव टैंक / रोक बंध (9.3%), झीलें (0.9%) और अन्य (2.5%) हैं।

55.2% जल निकायों का स्वामित्व निजी संस्थाओं के पास है जबकि 44.8% जल निकायों का स्वामित्व सार्वजनिक क्षेत्र के पास है।

सभी सार्वजनिक स्वामित्व वाले जल निकायों में से, अधिकतम जल निकायों का स्वामित्व पंचायतों के पास है, इसके बाद राज्य सिंचाई/राज्य जल संसाधन विभाग आते हैं।

सभी निजी स्वामित्व वाले जल निकायों में, अधिकतम जल स्रोत व्यक्तिगत स्वामित्व/ किसानों के पास है, जिससे लोगों के समूह और अन्य निजी संस्थाएं आती हैं।

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