LVM3 M2/वनवेब इंडिया-1 मिशन: इसरो ने सबसे भारी रॉकेट से 36 उपग्रहों को लॉन्च किया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 23 अक्टूबर को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से 36 संचार उपग्रहों को ले जाने वाले सबसे भारी रॉकेट LVM3-M2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। स्पेसपोर्ट से रॉकेट के ब्लास्ट होने के करीब 75 मिनट बाद सभी 36 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर दिया गया। यह मिशन LVM3 की 5वीं उड़ान थी।
LVM3-M2 मिशन NSIL
- LVM3-M2 मिशन NSIL के माध्यम से एक विदेशी कस्टमर वनवेब के लिए एक समर्पित वाणिज्यिक मिशन है। यह LEO (निम्न पृथ्वी कक्षा) के लिए 36 वनवेब उपग्रहों वाला पहला मल्टी-सैटेलाइट मिशन है।
- इसने 5,796 किलोग्राम वजनी पेलोड को LEO में स्थापित किया है। LVM ने अब तक का सबसे भारी पेलोड लॉन्च किया है।
- LVM-3 का पूर्ण रूप लॉन्च व्हीकल मार्क-3
- LVM-3 का पूर्ण रूप लॉन्च व्हीकल मार्क 3 ( Launch Vehicle Mark 3) है।
- इसरो ने GSLV Mk-III को ही LVM-3 के रूप में रिडिजाइन किया है।
- GSLV से LVM- में यान का नाम बदलने के पीछे एकमात्र कारण यह है कि रॉकेट को उपग्रहों को उपग्रहों को LEO में तैनात करना था न कि भू-तुल्यकालिक कक्षा (geosynchronous orbit) में।
- वनवेब उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में 1,200 किलोमीटर की ऊंचाई पर काम करते हैं। दूसरी ओर, भू-तुल्यकालिक कक्षा पृथ्वी के भूमध्य रेखा से 35,786 किलोमीटर ऊपर स्थित है।
न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का समर्पित वाणिज्यिक उपग्रह मिशन
- LVM3-M2 भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE), न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का समर्पित वाणिज्यिक उपग्रह मिशन है।
- इस लॉन्च के साथ, LVM3 ने “ग्लोबल कमर्शियल लॉन्च सर्विस मार्केट” में प्रवेश किया।
- यह मिशन NSIL और यूके स्थित कंपनी नेटवर्क एक्सेस एसोसिएट्स लिमिटेड (वनवेब लिमिटेड) के बीच की गई वाणिज्यिक व्यवस्था के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया।
- इस मिशन के हिस्से के रूप में वैश्विक कनेक्टिविटी जरूरतों के लिए 36 वनवेब जेन-1 उपग्रहों को SDSC-SHAR के दूसरे लॉन्च पैड (एसएलपी) से 601 किमी ऊंचाई की गोलाकार निचली पृथ्वी कक्षा में 87.4 डिग्री के झुकाव के साथ लॉन्च किया गया।
कई मामलों में पहला मिशन
- यह LVM3 का पहला वाणिज्यिक मिशन था।
- यह 36 वनवेब उपग्रहों के साथ पहला बहु-उपग्रह मिशन था।
- यह LVM3 से LEO का पहला लॉन्च था।
- यह छह टन पेलोड वाला पहला भारतीय रॉकेट था।
- LVM3 के साथ यह पहला एनएसआईएल मिशन था।
- यह NSIL/DoS के साथ पहला वनवेब मिशन था।
वनवेब जेन-1 उपग्रह (OneWeb Gen-1 Satellites)
- वनवेब अंतरिक्ष से संचालित एक वैश्विक संचार नेटवर्क है, जो सरकारों, व्यवसायों और समुदायों के लिए कनेक्टिविटी को सक्षम बनाता है। यह लो अर्थ ऑर्बिट उपग्रहों के एक समूह को क्रियान्वित कर रहा है।
- भारत का भारती एंटरप्राइजेज वनवेब में एक प्रमुख निवेशक और शेयरधारक है।
- यह वनवेब का 14वां प्रक्षेपण है और इसरो और NSIL के साथ भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र का द्वार खुल गया है।
- वनवेब उपग्रहों को 12 कक्षीय विमानों में व्यवस्थित किया जाना है, जिसमें प्रत्येक विमान में 1200 किमी वृत्ताकार कक्षा में 49 उपग्रह होते हैं। इस कॉन्स्टेलशन में कुल 648 उपग्रह होंगे।