सेबी ने सभी श्रेणियों के निवेशकों को शॉर्ट-सेलिंग (short-selling) की अनुमति दी
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी/SEBI) ने 5 जनवरी 2024 को घोषणा की कि अब रिटेल इन्वेस्टर्स सहित सभी श्रेणियों के निवेशकों को शॉर्ट-सेलिंग (short-selling) की अनुमति दी जाएगी।
शॉर्ट-सेलिंग शेयर बाजार में एक ऐसे स्टॉक या शेयर की बिक्री है जो किसी व्यक्ति के ट्रेड के समय उसके पास नहीं होता है बल्कि वह ब्रोकर से केवल उधार लिया होता है। इसका उद्देश्य शेयर की कीमत में गिरावट से बाद वापस उसे खरीदकर ब्रोकर को लौटा देता है। इस तरह वह शेयर प्राइस में गिरावट से लाभ कमाता है।
उदाहरण के लिए: आपके पास कंपनी A का शेयर नहीं है लेकिन आपको लगता है इसके प्राइस में गिरावट आ सकती है। आप अपने ब्रोकर से इसे उधर लेकर 200 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से इसे बेच देते हैं। इसका प्राइस और गिरकर 180 रूपये प्रति शेयर होने पर आप इसे बेचकर वापस ब्रोकर को लौटा देते हैं। इस तरह आपको 20 रूपये प्रति शेयर का फायदा हुआ। हालांकि, यदि शेयर प्राइस 200 रूपये से बढ़कर 220 रूपये हो जाने पर आपको 20 रूपये के घाटे में इसे बेचना होगा।
नेकेड शॉर्ट-सेलिंग की अनुमति नहीं
सेबी ने यह भी घोषणा की कि भारतीय प्रतिभूति बाजार में नेकेड शॉर्ट-सेलिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी। नेकेड शॉर्ट-सेलिंग तब होती है जब कोई ट्रेडर किसी कंपनी का शेयर पहले उधार लिए बिना या यह सुनिश्चित किए बिना बेचता है कि उन्हें उधार लिया जा सकता है।
सेबी ने आगे बताया कि फ्यूचर और ऑप्शन सेक्शन में ट्रेड करने वाले सभी स्टॉक में शॉर्ट-सेलिंग की जा सकती है।
हाल ही में जारी सेबी सर्कुलर के अनुसार, सभी निवेशकों को सेटलमेंट के समय शेयरों को डिलीवरी करने के अपने ऑब्लिगेशन का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। अर्थात आपने बेचे हैं तो उसे सेटलमेंट के समय वापस करना होगा।
इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स को डे-ट्रेडिंग करने की अनुमति नहीं
सेबी सर्कुलर में आगे कहा गया है कि इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स को डे-ट्रेडिंग करने से बैन किया गया है, जिसका अर्थ है कि उन्हें एक ही दिन के भीतर शेयर को खरीदकर बेचने की अनुमति नहीं है।
नियमों के अनुसार, संस्थागत निवेशकों को ऑर्डर देते समय यह खुलासा करना होगा कि लेनदेन शॉर्ट सेलिंग है या नहीं।
इसके विपरीत, खुदरा निवेशकों के पास सेबी द्वारा उल्लिखित ट्रेडिंग दिवस के अंत तक इसी तरह का खुलासा करने का विकल्प होता है।