BCCI ने पुरुष और महिला भारतीय क्रिकेटरों के लिए समान वेतन की घोषणा की
एक ऐतिहासिक कदम में, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने भारत में पुरुष और महिला क्रिकेट खिलाड़ियों, दोनों के लिए समान मैच फीस की घोषणा की है। BCCI सचिव जय शाह ने ट्वीट कर इस ऐतिहासिक फैसले की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह कदम बीसीसीआई का ”भेदभाव से निपटने की दिशा में पहला कदम” है। बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों को उनके पुरुष समकक्षों के समान मैच फीस का भुगतान किया जाएगा।
- नए नियमों के मुताबिक टेस्ट के लिए 15 लाख रुपये, वनडे के लिए 6 लाख रुपये और टी-20 के लिए 3 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा।
- बता दें कि इस साल की शुरुआत में, न्यूजीलैंड क्रिकेट (NZC) ने देश के खिलाड़ियों के संघ के साथ एक समझौता किया था, जिससे महिला क्रिकेटरों को पुरुष खिलाड़ियों के बराबर राजस्व अर्जित करने में मदद मिली, जबकि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) भी लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए काम कर रहा है।
- हाल में भारतीय महिला क्रिकेट टीम का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है। टीम ने हाल ही में सिलहट में श्रीलंका को फाइनल में 8 विकेट से हराकर बांग्लादेश में एशिया कप जीता।
- उन्होंने इस साल की शुरुआत में बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट में भारत का पहला पदक भी जीता। हरमनप्रीत कौर की अगुवाई वाली टीम फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गई और उन्हें रजत पदक मिला।
- इंग्लैंड में 2017 महिला एकदिवसीय विश्व कप में भारत के प्रदर्शन, जहां वे फाइनल में मेजबान टीम से हार गयीं थीं, महिला क्रिकेट की लोकप्रियता में देश में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है।
अंतर्राष्ट्रीय समान पारिश्रमिक दिवस (International Equal Pay Day)
- गौरतलब है कि समान पारिश्रमिक के लिए प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय समान पारिश्रमिक दिवस (International Equal Pay Day) 18 सितंबर को मनाया जाता है।
- ILO के अनुसार, विश्व स्तर पर, महिलाओं को औसतन पुरुषों की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत कम भुगतान किया जाता है। वैसे शिक्षा, काम करने का समय, व्यावसायिक अलगाव, कौशल या अनुभव जैसी व्यक्तिगत विशेषताएं लैंगिक वेतन अंतर के एक हिस्से की व्याख्या करती हैं, लेकिन अंतर के एक बड़े हिस्से के लिए जेंडर आधार पर भेदभाव जिम्मेदार है।
- इसके अलावा, महिलाएं COVID-19 महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, जिसमें उनकी आय सुरक्षा, सबसे कठिन क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व और पारिवारिक जिम्मेदारियों का जेंडर विभाजन शामिल है। इन सभी ने महिलाओं के रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव डाला है, जिससे लैंगिक समानता की दिशा में की गई दशकों की प्रगति को उलटने का खतरा पैदा हो गया है।
- महामारी से उभरने वाले देशों में लैंगिक समानता पर इन झटकों को दूर करने के लिए कार्रवाई करना न केवल प्रासंगिक और सामयिक है, बल्कि समावेशी, सतत और रेसिलिएंट रिकवरी के लिए भी महत्वपूर्ण है।