भारत और पाकिस्तान ने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूचियों का आदान-प्रदान किया

1 जनवरी 2024 को भारत और पाकिस्तान ने उन परमाणु प्रतिष्ठानों (nuclear installations) की सूचियों का आदान-प्रदान किया, जिन पर शत्रुता की स्थिति में हमला नहीं किया जा सकता है। दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध अब तक के सबसे निम्नतर स्तर पर होने के बावजूद 1992 से चली आ रही परंपरा को बनाए रखा गया है।

दोनों देशों ने एक-दूसरे की हिरासत वाले नागरिक कैदियों और मछुआरों की सूची का भी आदान-प्रदान किया।

इस अवसर पर भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान से उन 184 भारतीय मछुआरों की रिहाई में तेजी लाने को कहा, जिन्होंने अपनी जेल की सजा पूरी कर ली है और उन 12 कैदियों तक तत्काल राजनयिक पहुंच (consular access) की मांग की, जिन्हें भारतीय नागरिक माना जाता है।

परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमले के निषेध पर समझौते (Agreement on the Prohibition of Attack against Nuclear Installations and Facilities) के प्रावधानों के अनुरूप भारत और पाकिस्तान में राजनयिक चैनलों के माध्यम से परमाणु सुविधाओं की सूचियों का एक साथ आदान-प्रदान किया गया।

गौरतलब है कि दोनों पक्ष परमाणु प्रतिष्ठानों के विवरण का खुलासा नहीं करते हैं। इस समझौते पर 31 दिसंबर, 1988 को हस्ताक्षर किए गए और 27 जनवरी, 1991 को लागू हुआ।

इस समझौते में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की पहली जनवरी को समझौते के तहत शामिल होने वाले परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के बारे में एक-दूसरे को सूचित करना चाहिए।

1 जनवरी 2024 को दोनों देशों के बीच इस तरह की सूचियों का लगातार 33वां आदान-प्रदान हुआ। इस तरह का पहला आदान-प्रदान 1 जनवरी 1992 को हुआ था।

कॉन्सुलर एक्सेस पर 2008 का समझौता ( 2008 Agreement on Consular Access) के तहत भारत और पाकिस्तान साल में दो बार, 1 जनवरी और 1 जुलाई को कैदियों और मछुआरों की सूचियों का आदान-प्रदान करते हैं।

विदेश मंत्रालय ने एक अलग बयान में कहा कि भारतीय पक्ष ने अपनी हिरासत में 337 नागरिक कैदियों और 81 मछुआरों की सूची साझा की, जो पाकिस्तानी हैं या पाकिस्तानी माने जाते हैं।

पाकिस्तानी पक्ष ने अपनी हिरासत में मौजूद 47 नागरिक कैदियों और 184 मछुआरों की सूची साझा की, जो भारतीय हैं या माना जाता है कि वे भारतीय हैं।

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